Tuesday 5 January 2016

कविता ४२१. चुनी हुई राह

                                              चुनी हुई राह
हमारी राह तो वह होती है जो हमे समज आये हर राह को अलग अलग एहसास होता है जो जीवन मे नई शुरुआत देते है पर राह को तो जीवन मे नई शुरुआत हम देते है
राह पर हम अलग अलग सोच के एहसास रखते है जिन्हे समज कर जीवन मे हम उम्मीदे पाते है राह के अंदर ही अलग दिशाए होती है जो जीवन को मतलब दे जाती है
राह को परख लो तो ही उसमे जीवन का मतलब अलग मिल जाता है राह मे ही तो जीवन का सुनहरा एहसास मिलता है राह हमे अक्सर कुछ बनाती है पर वह राह हम सोच के ले चुके हो तो उम्मीद आती है
राह को समज लेना जीवन को उम्मीद दे जाता है राह पर अलग अलग सोच तो होती है पर हमे तो अक्सर अपनी सोच खुदही समज लेनी पडती है जो हमे उम्मीद देती है
राह को परख लेना जीवन कि जरुरत होती है पर जब हमारे मन कि उम्मीद एक राह देती है उस राह से ही हमारी दुनिया आगे बढती है राह ही तो हमे चुननी होती है
राह को समज लेना जीवन कि जरुरत होती है राह ही तो जीवन को मतलब देती है राह हर मोड कि शुरुआत तो होती है क्योंकि राह ही हमे मन से चुननी होती है
मन मे राह से ही उम्मीद मिलती है पर तभी जब हमने उसे सही सोच कर हमने चुनी होती है राह को तभी अपना कहना होता है जब वह हमे सही राह लगती है
कोई भी राह सही नही होती क्योंकि वह जमाने से हमे समझा दी जाती है हमे अपनी चुनी राह कभी काफी नही लगती है पर हर बार वह राह ही तो जीवन के हर मोड पर काफी होती है
राह चुनना हर बार जीवन मे अहम नजर आता है राह को मतलब हमारी सोच ही देती है और दुसरों से उधार लियी सोच हमे अपनी सोच नही लगती है
राह चुनना ही जीवन कि जरुरत होती है जो अपने मर्जी से तय करनी होती है राह ही तो अपने जीवन कि सच्चाई होती है जो हमे मर्जी से हर बार बतानी होती है

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