Wednesday 18 May 2016

कविता ६८८. फूलों कि खुशबू

                                              फूलों कि खुशबू
कभी फूलों कि खुशबू समझकर आगे तो हम चले जाते है पर वह कभी अत्तर कि सुगंध बनकर हमे आगे ले जाती है जीवन मे खुशियाँ लाती है
जिस एहसास को परख ले हम खुशियाँ पाते है उन्हे समझकर ही तो हम दुनिया मे आगे बढते जाते है क्योंकि खुशबू कि चाहत तो आखिर पूरी होती है
जो जीवन को समझ लेता है कि कहानी हर पल जीवन मे नया एहसास दे जाती है फूलों से ज्यादा अत्तर कि खुशबू हमे मिल पाती है
उस खुशबू को समझ लेने कि जरुरत ज्यादा अहम नजर आती है क्योंकि जीवन को समझकर ताकद देकर आगे जाती है आगे बढ जाती है
खुशबू कि ताकद कुछ ऐसी होती है जिसे समझकर बजह अहम नही आती है पर कई कोने मे मन को फूलों कि तलाश नजर आती है
क्योंकि बिना फूलों कि खुशबू जीवन को काफी नही नजर आती है नजरों को फूलों कि तलाश अक्सर रहती है जो जीवन को साँसे देकर चलती है
क्योंकि खुशबू ही तो जीवन कि आवाज बनती है जो अपनी दुनिया बदलकर रख देती है जो जीवन का एहसास बदलकर चलती जाती है
इसलिए तो कभी कभी मन को सिर्फ वह खुशबू ही काफी लगती है क्योंकि फूलों कि तलाश जीवन कि आस नही रहती है
अगर हम कोशिश कर ले तो खुशबू कि खुशियाँ हर पल तलाश नही बनती है कभी कभी उनमे जीवन कि सच्ची ताकद होती है
खुशबू को समझकर ही दुनिया बनती है कभी फूल मिल पाते है तो कभी कभी जीवन मे सिर्फ खुशबू पर ही मन को मनाने की राह सही होती है 

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