Monday 2 May 2016

कविता ६५७. हर किनारे संग

                                                   हर किनारे संग
हर किनारे संग जीवन को साँसे परख लेने कि जरुरत होती है हर पल साँसे हमे कुछ ना कुछ तो कहती रहती ही है किनारों संग जीवन कि दिशाए बदलती रहती है
हर किनारे पर कोई अलग ही दुनिया रहती है जीवन को अलग मतलब और जुदा एहसास देकर आगे चलती है हमारी दुनिया को हर पल बदलती जाती है
हमे जरुरत है हर किनारे को चाहने कि पर उसे दुनिया कहाँ समझ पाती है किनारों से ही दुनिया कि दिशाए हर पल तय हो सकती है जो जीवन को उम्मीदे दे जाती है
कई किनारों के संग ही तो हमारी दुनिया खुशियाँ देती है साँसों कि एक नई कहानी बनकर दुनिया हर बार हर पल हमे सिखाती है जो दिशाए देकर जाती है
हर किनारे पर जीवन कि मुलाकात नई चीज से होती है पर वह चीज सही या फिर गलत एक बात नही होती है वह बदलती रहती है
किनारों को समझकर आगे चलने कि ख्वाईश जीवन मे कामयाब हर बार नही होती है वह जीवन कि धाराओं को हर बार हर पल बदलकर चलती है
जब तक किनारे को ना समझ ले तब तक जीवन कि सोच नही बन पाती है किनारों से ही जीवन कि सौगाद आगे जाती हुई हर बार नजर आती है
किनारों को पढने कि जरुरत हर पल होती ही है पर किनारे को समझ लिये बिना उसकी शुरुआत नही होती है क्योंकि किनारा तो होता है पर जीवन मे उसका एहसास नही होता है
जीवन मे किनारों को परख लेने कि जरुरत होती है क्योंकि उनसे ही जीवन कि शुरुआत हर बार होती है क्योंकि उनसे ही तो जीवन कि शुरुआत होती है
पर कई बार लोगों कि जिन्दगी किनारे को बिना परखे ही उस पर गुजर जाती है उसको समझकर आगे ले जाने कि जरुरत हर पल होती ही है 

No comments:

Post a Comment

कविता. ५१४५. आवाज कोई सपनों संग।

                           आवाज कोई सपनों संग। आवाज कोई सपनों संग खयाल सुनाती है कदमों को उजालों की पहचान पुकार दिलाती है उम्मीदों को किनारो...