Sunday 8 May 2016

कविता ६६८. सोच का सही बदलाव

                                      सोच का सही बदलाव
किसी सोच मे जीवन को बदल देने कि ताकद होती है जो दुनिया के हर एहसास को समझ लेती है जीवन कि हर सोच हमारी किस्मत होती है
कभी समझ लेते है हम उसको कभी उस सोच मे अलग ताकद होती है जो जीवन दिशाए बदलती रहती है उम्मीदे देती है क्योंकि सोच ही ताकद बनती है
सोच मे ही तो हमारी कहानी होती है पर हम सबको एक बुरी आदत होती है कि गलत सोच पर भी चिपके रहना हमारी फिदरत होती है
सोच के अलग अलग पेहलू मे दुनिया बडी अहम होती है जिसे समझकर बदलना भी वक्त कि जरुरत होती है पर दिखावा भी हमारी आदत होती है
जिसे दिखावे से ही हमारी किस्मत बनती है यह सोच हमारी कितनी गलत होती है जो हमारे जीवन कि दिशाए बदलकर चलती है वही हमारी सबसे बडी मुसीबत होती है
सोच को परखकर दुनिया को समझ लेना जीवन कि जरुरत होती है खयाल को समझ लेना जीवन कि अलग ताकद होती है पर उसे बदलना जरुरत होती है
जब सोच को समझ ले तो ही हमे यह समझ आती है कि कब उसे बदलाव कि जरुरत होती है सोच कभी ना कभी तो बदलती ही है
क्योंकि आगे बढना ही जीवन कि फिदरत होती है जिसे परख लेना ही जीवन कि सही चाहत होती है पर बदलाव मे सही और गलत को परख लेने कि भी जरुरत होती है
सोच को समझ लेना ही तो अपने मन कि सच्ची ताकद होती है जो उम्मीदे होती है  तो सही बदलाव से अगर बदलाव गलत हो तो दुनिया मे मुसीबत होती है
जीवन कि सही सोच ही जरुरत होती है और उसके लिए सही बदलाव जरुरत होती है जो जीवन को रोशनी का एहसास देकर आगे चलती है

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