Sunday 22 May 2016

कविता ६९६. हर पल के अंदर

                                               हर पल के अंदर
हर पल के अंदर सोच की अलगसी ताकद दिखती है पल को हर मोड पर समझकर चलने कि अहमियत नजर आती है
पल तो हमे समझ लेते है पर उन्हे समझकर आगे बढने कि जरुरत हर बार होती है जो जीवन कि ज्योती बनकर नजर आती है
हमे हर पल जीवन को समझ लेने कि अलग सोच हमे अलग तरीके का एहसास देती है जो जीवन कि दिशाए बदलकर हर मोड पर चलती है
हम अगर सोच को परख लेते है तो खुशियाँ हासिल हर बार होती है जो जीवन को हर पल कोई अलग तरह का मतलब देकर चलती है
पल को समझकर जीवन को मकसद देने कि अहमियत हर राह पर होती है जो जीवन के कई किनारे देकर चलती है
पल के बाद अलग पल को जी लेने कि जरुरत हर मोड पर होती है दिशाए हमे उम्मीदे  देकर आगे बढती रहती है
पल के अंदर कि ताकद जीवन को मकसद हर बार देती है जो आगे बढकर दुनिया को बदलने कि ताकद अंदर छुपी रखती है
हमे हर पल जीवन मे आगे लेकर चलती है पल कि ही ताकद तो जीवन को मतलब हर राह मे देकर हर बार चलती है
पलों के अंदर जीवन कि ताकद तो उम्मीदे देकर जाती है जिन्हे समझकर आगे बढ जाने कि जरुरत हर बार होती है
पल के अंदर ही तो दुनिया कि एक अलग तरह कि ताकद होती है जो जीवन को उम्मीदे देकर आगे हर बार जाती है जीवन का हिस्सा बन जाती है 

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