Saturday 28 May 2016

कविता ७०९. हर तूफान संग बढना

                                            हर तूफान संग बढना
हर तूफान से डर जाये तो मंजिल कैसे मिल पाती है जीवन कि हर एक सुबह आसान बनकर नजर आती है नई रोशनी देकर जाती है
तूफानों को समझकर ही तो दुनिया जीवन समझ पाती है जो साँसों को अपना ले वह राज जीनेसे छुपके से उनके तूफानों को समझ लेती है
तूफानों से ज्यादा जीवन कि एक चाहत होती है जो जीवन को कई तरह के मतलब देकर आगे बढती रहती है रोशनी देकर चलती है
सारे तूफानों को समझकर आगे बढने कि हर पल जरुरत होती ही है क्योंकि तूफानों के साथ ही तो दुनिया हर पल बनती और बिघडती है
जब तूफानों को परख लेना जीवन कि तलाश होती है क्योंकि तूफानों से ही तो जीवन को एक मजबूत किसम कि ताकद मिलती है
तूफानों को बिना परखे ही जीवन को समझ लेने कि जरुरत होती है क्योंकि जीवन को परखकर आगे बढना ही जीवन कि अहमियत होती है
तूफानों को समझकर ही तो जीवन कि उम्मीदे आगे बढती है जो जीवन को हर मौके पर कुछ ना कुछ कहकर ही तो आगे चलती है
तूफान को समझकर जीवन कि खुशियाँ बनती है जिन्हे परख सके तो ही हमारी दुनिया बनती है हमे खुशियाँ मिलती है
तूफान तो हमे कई दिशाओं मे ले चलते है क्योंकि उन दिशाओं से ही तो हमारी  दुनिया आगे चलती है नई सुबह वही तो देती है
तूफानों के अंधियारे से ही तो हमारी दुनिया आगे बढती है हमारे जीवन मे खुशियाँ मिलती है जिनसे हमारी दुनिया आगे बढती रहती है 

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