Sunday 15 May 2016

कविता ६८३. किनारे को परखकर

                                            किनारे को परखकर
किसी किनारे से जीवन कि बात बदलती जाती है उसे समझ लेने कि सौगाद अलग नजर आती है जिसे परख लेना ही जरुरत होती है
किनारे को समझ लेना जीवन को अलग एहसास दे जाती है जीवन के पेहलूओं को समझकर आगे चलने कि जरुरत हर बार होती है
किनारों को समझकर जीवन कि कहानी समझ लेने कि जरुरत होती है जो जीवन को हर बार अलग अलग तरीके से समझ लेती है
किनारों को परखकर जीवन को समझकर दुनिया कि अलग तरह कि कोशिश होती है जो हमे आगे लेकर जाती है जिसमे अलग ताकद होती है
किनारों को समझकर दुनिया कि समझ हमे आगे लेकर जाती है किनारों पर दुनिया हर बार अलग पेहचान देकर जाती है
किनारों मे ही तो दुनिया हर बार अलग एहसास और अलग मोड देकर जाती है जो हमारी दुनिया कि कुछ साँसे बढाती है
किनारों पर भी दुनिया कि अलग हस्ती जिन्दा रहती है जो जीवन को अलग तरीके से कोशिश को समझकर हम आगे बढना चाहते है
किनारों को दुनिया कि समझ हर बार अलग होती है जिसे परखकर और समझकर जीवन कि कहानी हर बार अलग नजर आती है
किनारों मे तो जीवन कि अलग कहानी बनती है जिस कहानी को हम परख लेते है तो जीवन कि अलग निशानी बनती है
किनारों को परखकर जीवन कि कहानी हर बार जीवन को अलग तरह के रंग दिखाकर हमे आगे लेकर जाती है वह आगे बढ जाती है 

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