Friday 13 May 2016

कविता ६७८. लहरों पर दुनिया

                                                 लहरों पर दुनिया
हर लहर जब आकर हमे छूँ कर जाती है जीवन कि कहानी दुनिया मे बदल जाती है जिसे समझकर आगे जाने कि जरुरत होती है
क्योंकि लहरों पर हमारी दुनिया रहती है जिसे परखकर चलने कि जरुरत हर पल होती है क्योंकि लहरों पर ही वह डोलती है
लहरों कि ठंडक जीवन मे बडी मुश्किल लगती है जीवन की उम्मीदे हर बार लहरों पर ही डोलती है क्योंकि लहरों कि कहानी बनती है
उन लहरों के अंदर दुनिया कि सोच हर पल जिन्दा रहती है जो हमे उम्मीदे देकर आगे चलती रहती है जो दुनिया को ताकद देती है
लहरों के अंदर दुनिया कि नई शुरुआत तो होती है जीवन को आगे पीछे जाने कि जरुरत हर सोच के साथ अक्सर होती है
जीवन कि लहरे हमे आगे पीछे लेकर जाती है जीवन मे आगे बढने कि जरुरत और आदत हर मोड पर हमे ताकद देती है
जीवन कि कहानी हर बार हमे रौनक देती है जब वह रंग बदलती रहती है दुनिया कि दिशाए बदलकर अलग बनती जाती है
क्योंकि लहर ही तो जीवन कि कहानी होती है पर उसे मूँठी मे पकड लेने कि चाहत हर बार अधूरीसी रह जाती है
लहरों को समझ लेते है पर उन्हे पकड कहाँ पाते है जीवन को कई हिस्सों मे समझकर आगे बढना तो हर बार हम चाहते है
पर समझ तो उन्हे लेते है पर उन्हे कहाँ परखकर आगे जाते है जीवन कि राहों को  समझकर आगे जाते है जिन्हे हम लहरों पर समझ तो लेते है
लहरों के अंदर दुनिया कि हर सोच को हम समझ लेना चाहते है जिसके अंदर दुनिया समझ लेना तो मुमकिन है पर दुनिया हमारी पकड मे नही आती है

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