Saturday, 14 May 2016

कविता ६८०. किसी चीज कि चाहत

                                                किसी  चीज कि चाहत
जीते चाहे हारे कोई बात जीवन मे ऐसी होती है जिसे हम खोना नही चाहते है क्योंकि जीवन कि सोच उस ताकद से बनती है
किसी बात कि चाहत ही तो वह चीज होती है जो हमे गलत दिशाओं मे बदलकर सही किनारे दे जाती है क्योंकि किसी चीज चाहत ही हमे सही बनाती है
अगर सही चाहत हो तो वह हमारी दुनिया बदल जाती है हमारी राहे अलग नजर आती है जो जीवन कि दिशाए बदलकर जाती है
जीवन मे तो राहों को सही बनाने कि जरुरत होती है जो नई खुशियाँ दे जाती है पर वह सही राह तभी बनती है जिसमे गलत उम्मीदे नही होती है
अपनी खुशियाँ तो सबकी चाहत है जो जीवन कि उम्मीदे बनकर आगे बढती है पर जो दूसरे कि खुशियाँ छीन लेने कि चाहत रखे सही उसकी दुनिया नही होती है
क्योंकि जो दूसरे कि बर्बादी चाहे सही उसकी दुनिया नही होती है जिसे परखकर ही हमारी खुशियाँ होती है जो सबके खुशियों मे होती है
जीवन कि खुशियाँ कई हिस्सों मे होती है पर जो हमे आगे लेकर चलती है वह मन की ताकद होती है जो हमे रोशनी देती है
जीवन मे हार जीत तो होती रहती है पर उस से परे हमारी चाहत होती है जब वह सही हो तो वह आँसू पोछते हुए अपने पराये कि सोच नही रखती है
जीवन तो अक्सर अलग अलग सोच देता है जिसे समझकर जीना ही हमारी जरुरत होती है जिसे समझकर जाने से ही हमारी सुबह होती है
जब अँधियारे से ना डरे तभी तो हमारी दुनिया खुबसूरत लगती है क्योंकि रोशनी और अँधेरे से परे उस बात कि चाहत होती है
उस चाहत मे ही तो दुनिया खुबसूरत होती है क्योंकि सही दिशाए दिखाना ही तो हमारे मन कि सच्ची राय या फिर चाहत होती है

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