ईश्वर की सोच
उन बातो को जिनमे हमें भगवान थे दिखते आज अचानक वह कुछ ऐसे बदली की उनमें अब तूफ़ान है दिखते
जिन राहों पर उम्मीदों के अहसास है हर पल दिखते है उन राहों ने हमें बताया भगवान वहा नहीं है रहते
शायद गलत सोच है भगवान को हम हर बार ढूढ़ते रहते उम्मीदों में घेरों में हर बार भगवान हमेशा है बसते
उन बातो को जिनमे हमें भगवान थे दिखते आज अचानक वह कुछ ऐसे बदली की उनमें अब तूफ़ान है दिखते
जिन राहों पर उम्मीदों के अहसास है हर पल दिखते है उन राहों ने हमें बताया भगवान वहा नहीं है रहते
शायद गलत सोच है भगवान को हम हर बार ढूढ़ते रहते उम्मीदों में घेरों में हर बार भगवान हमेशा है बसते
अगर हम सही सोच के अंदर है बसते काश के उस खुदा को उस ईश्वर को हम समज भी पाते काश उसे दिल से अपनाते
हम उसे ढूढ़ते रहते है हर पल क्युकी अपने पास होते हुए भी हम उसको समज ना पाते काश हम उस सूरज को समजते
जो हमारे लिए रोशनी लाते हर बार जब भी हर उम्मीदों से देखते हम उस उप्परवाले पर यकीन हम रखते
भगवान हर बार हमारे लिए है कुछ लाते पर उसको हम ना समज पाते क्युकी हम बस उन्हें ढूढ़ते है पर उनकी उम्मीदों को कभी समज नहीं पाते
जो उम्मीदे हमें जिन्दा रखती है जिनसे उस ईश्वर की चाहत बनती है छोड़ चले है हम उन उम्मीदों को जो उप्परवाला हमसे रखता है उन्हें हम समज ना पाते
सिर्फ ढूढ़ते है हम हर किसी बात में समज नहीं पाते क्युकी हम शायद उसे समजना नहीं सिर्फ ढूढ़ना है चाहते
बार बार हम बस यही है सोचते रहते जिस बार हम उसकी सोच को समज लेते हर बार हम बस जीत ही पाते
क्युकी जो मन से सच्चा हो उसे हर पथ्तर में ही ईश्वर है मिल जाते और जो ना समजे उस सोच को वह कभी उसे समज ना पाते
हर बार जब हम आगे बढ़ नहीं जाते ईश्वर हर बार बस यही सोचते है रहते की ईश्वर काश हमें मिल पाते
पर ईश्वर तो सिर्फ उस सोच में है जिस सोच को हम समज नहीं पाते क्युकी हम तो लोगों के कहने पर हर बार ईश्वर को ही हम है ढूढ़ते
हम उसे ढूढ़ते रहते है हर पल क्युकी अपने पास होते हुए भी हम उसको समज ना पाते काश हम उस सूरज को समजते
जो हमारे लिए रोशनी लाते हर बार जब भी हर उम्मीदों से देखते हम उस उप्परवाले पर यकीन हम रखते
भगवान हर बार हमारे लिए है कुछ लाते पर उसको हम ना समज पाते क्युकी हम बस उन्हें ढूढ़ते है पर उनकी उम्मीदों को कभी समज नहीं पाते
जो उम्मीदे हमें जिन्दा रखती है जिनसे उस ईश्वर की चाहत बनती है छोड़ चले है हम उन उम्मीदों को जो उप्परवाला हमसे रखता है उन्हें हम समज ना पाते
सिर्फ ढूढ़ते है हम हर किसी बात में समज नहीं पाते क्युकी हम शायद उसे समजना नहीं सिर्फ ढूढ़ना है चाहते
बार बार हम बस यही है सोचते रहते जिस बार हम उसकी सोच को समज लेते हर बार हम बस जीत ही पाते
क्युकी जो मन से सच्चा हो उसे हर पथ्तर में ही ईश्वर है मिल जाते और जो ना समजे उस सोच को वह कभी उसे समज ना पाते
हर बार जब हम आगे बढ़ नहीं जाते ईश्वर हर बार बस यही सोचते है रहते की ईश्वर काश हमें मिल पाते
पर ईश्वर तो सिर्फ उस सोच में है जिस सोच को हम समज नहीं पाते क्युकी हम तो लोगों के कहने पर हर बार ईश्वर को ही हम है ढूढ़ते
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