Sunday 5 July 2015

कविता ५३. जीत

                                                                            जीत
जब कुछ पाते हो तो उसे खोना पडता है और जब उसे जीतते है उसे जिन्दगी में जीना होता है पर कोई ऐसी जीत नहीं जो हर पल रह जाती है
हर जीत जो कुछ पल रहती है वह कुछ पलों में  खो जाती है जिन्दगी कभी रूकती है वह आगे बढ़ती जाती है जो कुछ जीता है हमने वह साथ ले जाती है
बस रिश्ते ही है वह चीज़ जो हमे साथ देते है जब हम साथी ढूढे ऐसे जो हमारा साथ दे हमारी जीत का नहीं तो हम को दिल से चाहते है
जीत तो आती है और जाती है पर हर बार मुसीबत लाती है क्युकी वह जिंदगी हमें जूठे और सच्चे लोग दिखती है अगर हम सिर्फ सही होते है
जो जीत या हार कोई फरक नहीं करती अगर वह सिर्फ सही लोग को लाती है जिन्दगी में सही चीजो का मतलब वह समजती है
क्युकी जिन्दगी सचमुच में सीधी है पर जीत के बाद वह अचानक अलग रंग दिखाती  वह कहती वह तराने जिनमें हमारी जान बसती है
पर वही उस मोके में जूठे दोस्त दिखाती है हर बार जो हमे समज जाये वह जिन्दगी हमें कही ख्वाब दिखती है हम जब आगे बढ़ जाये खुशियाँ जिन्दगी ही लाती है
सारी दिशाओ में हम बस यह सोचे जिन्दगी गलत ख्वाब दिखती है पर सच तो की वह तो हमें सिर्फ सही राह दिखती है
सक्त सही पर जिन्दगी को ताकद है जो हमे सही तरीके से जीना सिखाती है हर बार और हर मोड़ पर बस यह सोचे जिन्दगी हमें बता नहीं क्या क्या दे जाती है
जिन्दगी है वही चीज़ जो हर बार सही सोच दिखाती है हर मोड़ पर जब हम चलते है वही सही राह हमें दुनिया दिखाती है हर बार जब हम आगे बढ़ते है हमे हरा के असली दोस्त दिखाती है
माना की रुलाती है हमें जिन्दगी पर वही साथ निभाती है सही ख्वाबों को जीत देकर सही राह हर बार हमें दिखाती है 

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