Sunday 26 July 2015

कविता ९६. मुस्कान हमेशा कम होगी

                                                        मुस्कान हमेशा कम होगी
हर मोड़ पे आसानीसे समजे जीवन वह गीत नहीं पर सही राह छोड़ कर चले तो जीवन में जीत नहीं जो इस बात को समज चुका हो उसके लिए मुश्किल जीवन की कोई रीत नहीं
हर बार जब जब हम दुनिया को समजे उसमे नयी नयी सी सोच देखी है पर जो सब के संग हसकर रहना सिखाये उससे बेहतर कोई रीत नहीं है
जब आगे बढ़ जाये मुस्कान से बेहतर जीवन कोई प्रीत नहीं मुस्कान ही जो हमें बनाये बाकी सब बातों से उठकर आगे बढ़ जाने की उसकी रीत रही है
मुस्कान ही है जो जीवन देती है हर मोड़ पर हमें खुशियाँ चुपके से दे देती है हम जब आगे बढ़ जाते है मुस्कान ही दुनिया देती है
चाहे कोई कुछ भी कह दे मुस्कान ही हर बार सही होती है जो दुनिया को मुस्कान दे वही दुनिया में सही होता है आखिर वह दौलत जिसके पीछे हम भागे वह मुस्कान ही तो हमें देती है
जब जब जीवन में रंग बदलते है तब तब मुस्कान ही तो हमारा साथी बनती है लोग कुछ भी चाहे दुनिया में पर हमारे लिए तो सब कुछ मुस्कान ही होती है
जो माँगे उस खुदा से वह अपने लिए मुस्कान ही थी पर आज कल नहीं माँगते है वह क्युकी उसने तो वह कब की दे दि थी पर अब वह खोयी है
तो हमें ही तो वह ढुढ़नी थी कभी किसीसे पूछे कहा है तो वह सोचते है वह एक लड़की थी तो कोई ना समजे उस मुस्कान को मन को छू लेती थी
हर कोई जो समज सके काश मुस्कान को दुनिया में उतनी किंमत होती पर कोई कोई समजे या ना समजे दुनिया में  मुस्कान हमेशा अहम ही होगी
पर फिर भी अफ़सोस है लोगों में वह कम होगी क्युकी जो थोड़ी थोड़ी उसे देंगे उनके लिए तो मुस्कान हमेशा कम ही होगी 

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