Sunday 2 October 2016

कविता. ९६३. कुछ लम्हों के अंदर।

                                                    कुछ लम्हों के अंदर।
कुछ लम्हों के अंदर कि कहानी को समझकर आगे बढते जाने कि जरुरत हर बार रहती है जो लम्हों के अंदर साँसों को अलग तरह कि पहचान देकर आगे बढती है जो जीवन मे कई कदमों पर जीवन कि कहानी कहती रहती है।
कुछ लम्हों के अंदर कई किनारों कि सोच रहती है जो जीवन को कई बार अलग सौगाद देकर आगे बढती है जो लम्हों को कई बाते कहती रहती है जो लम्हों के संग जीवन कि कहानी अलग तरह कि सोच देकर आगे चलती रहती है।
कुछ लम्हों के अंदर कई कहानियाँ जिन्दा रहती है जिन्हे समझ लेने कि जरुरत हर मौके मे जीवन को अलग एहसास देकर चलती है वह लम्हों मे जिन्दा होती है जो जीवन को साँसे देकर हर मोड पर आगे बढती रहती है।
कुछ लम्हों के अंदर कई किस्सों मे जीवन कि दिशाए आगे चलती है जो जीवन को समझ कुछ अलग तरह कि देकर हर बार चलती जाती है जो जीवन मे लब्जों के सहारे लम्हों को तोडकर आगे जीवन को लेकर जाती रहती है।
कुछ लम्हों के अंदर कई बातों के अंदर जीवन को समझकर चलती है जो जीवन मे कई किस्सों मे दुनिया को समझ अलगसी देकर आगे बढती रहती है जो लम्हों मे हर तरह कि सोच देकर आगे बढती हुए चलती रहती है।
कुछ लम्हों के अंदर कई किनारों को समझकर आगे चलती रहती है वह सोच लम्हों को समझ लेना हर पल चाहती है क्योंकि लम्हों के अंदर ही तो जीवन कि रफ्तार जिन्दा रहती है जो लम्हों को अलग तरह कि कहानी देकर रहती है।
कुछ लम्हों के अंदर कई किस्सों को समझकर ही तो जीवन की दिशाए हर बार आगे बढती है क्योंकि लम्हों मे जीवन को समझकर आगे चलती जाती है जो लम्हों को परखकर अलग तरह कि दिशा देकर आगे बढती रहती है।
कुछ लम्हों के अंदर कई किनारों को परखकर ही तो दुनिया आगे चलती है जो लम्हों को परखकर ही तो आगे बढती जाती है जो लम्हों को समझ अलग तरह कि देकर चलती है जो जीवन को अलग रोशनी देकर आगे चलती रहती है।
कुछ लम्हों के अंदर कई किनारों को अलग रंगों मे देखती है जो जीवन मे कई किनारों को समझ अलगसी देकर चलती है जो लम्हों को परखकर आगे चलती जाती है जो लम्हों को समझकर आगे लेकर बढती रहती है।
कुछ लम्हों के अंदर कई किस्सों को मतलब देकर आगे बढते हुए जाते है उन लम्हों को ही तो जिन्दा रखने कि चाहत हर बार जीवन को रहती है जो जीवन को हर बार अलग एहसास देकर हर पल आगे बढती हुई जाती रहती है।

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