Wednesday 26 October 2016

कविता. १०११. हर किनारे को।

                                       हर किनारे को।
हर किनारे को सही बात कि दुआ दे तो जिन्दगी एक ऐसी आस बनती है जो जीवन मे हर पल एक अलगसी प्यास देकर चलती है जो सही सोच का एक अलग एहसास देकर जाती है जो जीवन को हर पल विश्वास देकर जाती है।
हर किनारे को सच कि दुआ दे तो जिन्दगी एक मुश्किल राह बनती है जिसकी मंजिल इतनी खास होती है कि लंबी राह भी जीवन मे आसान बन जाती है जो सच्ची सोच को कई खयालों से परखकर मुश्किल को भी आसान बनाकर आगे जाती है।
हर किनारे को उम्मीद कि दुआ दे तो जिन्दगी एक अलग सुबह देकर चलती है जिस सोच को अलग तरह से समझ ले उस सोच को अलग तरह के किनारे कि आशाए हर पल देकर रहती है जो जीवन को नई रफ्तार देकर हर बार आगे जाती है।
हर किनारे को मौके कि तरह समझ लेने कि जरुरत हर बार रहती है जो किनारों मे कदमों कि आहट का एहसास समझकर दुनिया मे आगे बढती है क्योंकि किनारों मे ही तो अक्सर जीवन कि उम्मीदे एक धारा संग हर पल आगे जाती है।
हर किनारे को परखकर जीवन कि कहानी हर पल को अलग एहसास देकर आगे चलती है जो किनारों मे समझ अलग तरह कि देकर हर एक मौके के संग जीवन कि दिशाए हर पल देकर जीवन को अलग तरह कि ताकद हर बार देकर जाती है।
हर किनारे को समझ लेने कि जरुरत हर मोड पर जीवन के अंदर अक्सर सही सोच देकर रहती है जो किनारों मे अलग किसम का एहसास देकर आगे बढती है जो जीवन को अलग तरह कि आवाज हर पल देकर आगे बढती जाती है।
हर किनारे को अलग एहसास मे परखकर आगे जाने कि आदत तो दुनिया हर सोच मे दे जाती है क्योंकि किनारों को अलग सोच कि जरुरत हर बार रहती है क्योंकि किनारों मे ही तो दुनिया कि हकिकत हर पल आगे लेकर जाती है।
हर किनारे को अलग किसम के मतलब देकर चलती है वह सोच भी हर बार जरुरी होती है जो जीवन को कई किनारों मे अलग तरह कि ताकद देकर जीवन कि आवाज बदलकर आगे चलती है जो जीवन को ताकद देकर जाती है।
हर किनारे को समझकर ही तो दुनिया हर पल अलग एहसास देकर नई किरण नई रफ्तार देकर आगे चलती है क्योंकि किनारों को समझ लेने कि जरुरत हर मौके पर अक्सर होती है जो जीवन मे किनारों को अलग पहचान देकर जाती है।
हर किनारे को अलग तरह के एहसासों कि एक पुकार हर बार होती है क्योंकि वही पुकार हर बार अलग मतलब और एहसास देकर आगे बढती जाती है जो जीवन को अलग एहसास देकर आगे बढती है क्योंकि किनारों मे एक अलग पुकार जिन्दा हो जाती है।

No comments:

Post a Comment

कविता. ५१२४. बदलाव को लहरों की।

                                बदलाव को लहरों की। बदलाव को लहरों की मुस्कान कोशिश सुनाती है दिशाओं को नजारों संग आहट तराना सुनाती है आवाजों...