Sunday 2 October 2016

कविता. ९६२. पर्दे पर कभी।

                                                      पर्दे पर कभी।
पर्दे पर कभी बात दिखती है तो कभी पर्दा वही छुपाता है पर्दे को दोनो तरीकों से गुजरना अक्सर आता है कभी वह सब दिखाता है तो कभी कभी सब कुछ छुपा भी लेता है जो पर्दा दिखाता है उसे समझ लेना जरुरी होता है।
पर्दे पर कभी जीवन को समझ लेना हर बार जरुरी लगता है तो कभी उसके सहारे ही तो चीजों को छुपा कर अपनी जिन्दगी आगे लेकर चलता जाता है पर्दे मे ही तो कई राजों का एहसास रहता है जिसे पर्दों को समझकर आगे बढना होता है।
पर्दे पर कभी जीवन को परख लेना हर बार जरुरी लगता है जिसे पर्दों से समझ लेना जरुरी होता है क्योंकि पर्दों से ही तो जीवन को समझ लेना हर बार जरुरी रहता है जिसका मतलब पर्दों कि कहानी को हर बार दोहराना होता है।
पर्दे पर कभी एक जिम्मेदारी होती है तो कभी पर्दा दूसरी जिम्मेदारी को उठाता रहता है क्योंकि पर्दों से ही अलग अलग तरह कि कामों कि उम्मीदे मिलती है पर्दों से ही तो दुनिया मे कई तरह के किस्सों को बदलाव जरुरी होता है।
पर्दे पर कभी एक तरह कि राह को पकडना होता है तो कभी दूजी राह का मतलब सही निकलता है पर्दों के अंदर दुनिया को कई एहसासों को समझ लेने कि जरुरत जीवन को कई किसम के मकसद हर मोड पर देती है उसे समझना जरुरी होता है।
पर्दे पर कभी जीवन कि एक कहानी दिखती है जो जीवन मे कई कदमों पर अलग तरह का मकसद देकर बदलाव देकर रहती है जो पर्दे पर कई तरह कि कहानियाँ आसानी से दिखती है जो पर्दों के अंदर दो तरह कि सोच को समझ लेना जरुरी होता है।
पर्दे पर कभी दोनों दिशाओं को समझ लेने कि जरुरत होती है जो पर्दों के अंदर दिखाती है पर्दों को समझ लेने कि जरुरत हर बार जीवन मे अलग एहसास देकर आगे बढती रहती है जो जीवन को हर पल अलग तरह कि सुबह देती है जिसको समझना जरुरी होता है।
पर्दे पर कभी दोनों कि जरुरत होती है जीवन को अलग तरीके से हर मौके पर दिखाती है पर्दों के अंदर कई किस्सों कि जरुरत जीवन को ताकद देती है पर्दों के साथ जीवन को अलग तरह कि रोशनी हर बार मिलती है पर सही इस्तमाल कि दिशा को परखना होता है।
पर्दे के अंदर कई किनारों को समझकर दुनिया आगे बढती है जिसे समझ लेने कि जरुरत अक्सर रहती है क्योंकि किनारों से ही तो दुनिया कि कहानी बनती है जो जीवन को कई किस्सों मे हर बार कहती है जिसकी सच्चाई को समझ लेने के लिए पडदों को समझ लेना जरुरी होता है।
पर्दे के अंदर कई कहानियों मे जीवन कि हकिकत हर पल जिन्दा रहती है जिसे पर्दों के साथ समझकर आगे बढने कि जरुरत रहती है पर्दों को परख लेने कि जरुरत उनके अंदर के मकसद से लिखी रहती है कहानी को पर्दों मे समझ लेना होता है।

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