Monday 27 February 2017

कविता. १२५८. हर बार किनारे पर कोई नयी चीज।

                           हर बार किनारे पर कोई नयी चीज।
हर बार किनारे पर कोई नयी चीज आ जाती है वही पुरानी लहर हर बार नया कुछ लाती है वह हर मौके पर कोई अलगसा अंदाज दिलाती जाती है हर बार किसी किस्से को समझ लेने कि ताकत जीवन को दे जाती है।
हर बार किनारे पर कोई नयी चीज आ जाती है वही पुरानी लहर हर बार अपने कदमों को कुछ आगे बढाती है हर बार कोई अलग चीज जीवन का हिस्सा बन जाती है वह हर मौके पर लहरों को मकसद दे जाती है।
हर बार किनारे पर कोई नयी चीज आ जाती है वही पुरानी लहर हर बार अपने आहट के संग नयी चीजे लाकर मन को बहलाती है वह हर बार नये जुनून के साथ दुनिया मे लहरों से टकराकर नयी आशाए दे जाती है।
हर बार किनारे पर कोई नयी चीज आ जाती है वही पुरानी लहर हर बार अपने किस्सों के अंदर कोई अलग सुबह लाती है वह लहर हर किनारे संग उजालों के कई एहसास दिलाती है जिन्हे समझ लेने पर दुनिया नयी किरणें दे जाती है।
हर बार किनारे पर कोई नयी चीज आ जाती है वही पुरानी लहर हर बार जिन्दगी मे नयी उम्मीदे लाती है हर बार लहरों के साथ कई तरह के आवाजों कि दुनिया जिन्दा होती है वह हर किस्से को हर मौके संग उजाले दे जाती है।
हर बार किनारे पर कोई नयी चीज आ जाती है वही पुरानी लहर हर बार अपने मे अलग जज्बात छुपाकर लाती है वह किसी किनारे से आगे बढती जाती है वह कोई ना कोई चीज लेकर चली आती है वह जीवन मे हर लहर को उम्मीद दे जाती है।
हर बार किनारे पर कोई नयी चीज आ जाती है वही पुरानी लहर हर बार कोई अलग पहचान लाती है वह फिर से कुछ वही पुराने जज्बात लेकर आती है वह जीवन मे लहरों को अलग अंदाज मे परख लेना सिखाती है वह उम्मीद दे जाती है।
हर बार किनारे पर कोई नयी चीज आ जाती है वही पुरानी लहर हर बार कोई अलग दिशा मे पहचान दिलाती है वह हर बार कोई अलग चीज दिखाकर आगे बढती रहती है जो जीवन मे हर बार कोई नई तरह कि दिशाए दिखाती है वह उम्मीद दे जाती है।
हर बार किनारे पर कोई नयी चीज आ जाती है वही पुरानी लहर हर बार कोई अलग किनारा देकर जाती है वह जीवन मे कई रंगों कि दुनिया देकर जाती है हर लहर को समझकर हर बार अलग किनारे पर कोई अलग चीज वह उम्मीद दे जाती है।
हर बार किनारे पर कोई नयी चीज आ जाती है वही पुरानी लहर हर बार कोई अलग दिशाओं से अलग चीज लेकर आती है जो लहरों के साथ अलग एहसास कि कोई अलग पुकार देकर जाती है  वह उम्मीद दे जाती है। 

No comments:

Post a Comment

कविता. ५१२५. किनारों को अंदाजों की।

                              किनारों को अंदाजों की। किनारों को अंदाजों की समझ एहसास दिलाती है दास्तानों के संग आशाओं की मुस्कान अरमान जगाती...