Sunday 19 February 2017

कविता. १२४३. हर लब्ज के अंदर अलग पहचान।

                                 हर लब्ज के अंदर अलग पहचान।
हर लब्ज के अंदर अलग पहचान जिन्दा रहती है जो जीवन मे अलग खयाल कि दास्तान हर लम्हा देती है हर लब्ज को समझ लेते है तो जीवन मे कई कहानियों के किरदारों कि समझ उम्मीदे दिखाकर जाती है।
हर लब्ज के अंदर अलग पहचान जिन्दा रहती है जो जीवन मे अलग कहानी हर बार बनती है जो जीवन मे लब्जों को अलग बदलाव के संग एक अलगसी पहचान रखती है हर एहसास को समझ लेने कि जरुरत जीवन को नये रंग दिखाकर जाती है।
हर लब्ज के अंदर अलग पहचान जिन्दा रहती है जो जीवन मे अलग किनारों कि दिशाए कई तरह कि रहती है जो जीवन कि आवाज को पहचान दिलाती है जिसे हर मौके पर कोई परख दिखाकर जाती है।
हर लब्ज के अंदर अलग पहचान जिन्दा रहती है जो जीवन मे अलग पुकार कितने किनारों से देकर जाती है जो जीवन मे कई किनारों को मतलब दिलाती रहती है जो जीवन मे कई एहसास को समझ लेने कि आदत दिखाकर जाती है।
हर लब्ज के अंदर अलग पहचान जिन्दा रहती है जो जीवन मे अलग किस्सों के साथ आगे लेकर जाती है जो जीवन मे कई राहों पर हवाओं कि पुकार हर बार अलग पहचान के साथ हर मोड पर दिखाकर जाती है।
हर लब्ज के अंदर अलग पहचान जिन्दा रहती है जो जीवन मे अलग इशारों मे अलग किसम कि पुकार हर कदम के साथ आगे चलती है जो जीवन मे कई दास्ताने हर पल के संग हर मौके पर दिखाकर जाती है।
हर लब्ज के अंदर अलग पहचान जिन्दा रहती है जो जीवन मे अलग किनारों से अलग रोशनी हर पल देती है जो जीवन मे कई राहों पर अलग नजारे हर मौके पर कोई अलग कहानी को उम्मीद दिखाकर जाती है।
हर लब्ज के अंदर अलग पहचान जिन्दा रहती है जो जीवन मे अलग पहचान देकर हर बार कुछ अलग किनारे दिलाती है जो जीवन मे कई किनारों से अलग सुबह को उजाला देकर आगे बढती है पर वह जीवन को किरणे दिखाकर जाती है।
हर लब्ज के अंदर अलग पहचान जिन्दा रहती है जो जीवन मे अलग दिशाओं से आगे चलती है जो जीवन मे कई बातों को मतलब अक्सर कई किसम के दिलाती है जिन्हे समझ लेने कि जरुरत दुनिया हर कदम पर दिखाकर जाती है।
हर लब्ज के अंदर अलग पहचान जिन्दा रहती है जो जीवन मे अलग इशारों से नजारों को बदलाव देकर चलती है जो जीवन मे हर लम्हे के अंदर लब्जों कि पुकार हर बार हर कदम पर अलग रोशनी दिखाकर जाती है।

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