Wednesday 15 February 2017

कविता. १२३४. हर बार किनारे पर कोई पहचान अलगसी।

                     हर बार किनारे पर कोई पहचान अलगसी।
हर बार किनारे पर कोई पहचान अलगसी होती है जो जीवन मे कई रंगों कि दुनिया को हर लम्हा कोई पुकार अलगसी दे जाती है जो जीवन मे किनारों पर कोई कहानी अलग नजर आती है जो जीवन मे किनारे बदलती है।
हर बार किनारे पर कोई पहचान अलगसी होती है जो जीवन मे कई दास्तानों कि पुकार अलग नजर आती है जो जीवन मे कई एहसास के अंदर कोई परख अलग तरह कि नजर आती है जो जीवन मे दिशाएं बदलती है।
हर बार किनारे पर कोई पहचान अलगसी होती है जो जीवन मे कई जस्बातों कि दास्तान हर मौके पर जिन्दा रखती है जिसे समझकर दुनिया कोई अलग पुकार देकर जाती है जो किनारों पर हवाओं को हर पल बदलती है।
हर बार किनारे पर कोई पहचान अलगसी होती है जो जीवन मे कई किस्सों कि महफिल ही मौके पर देकर जाती है जिसे पहचान लेने कि जरुरत जीवन मे हर लम्हे के साथ होती है जो जीवन मे अक्सर हर किस्से को बदलती है।
हर बार किनारे पर कोई पहचान अलगसी होती है जो जीवन मे कई तरानों के साथ सुबह देकर जाती है जिसे परखकर दुनिया हर बार जस्बातों को अलग पहचान देकर जाती है जो जीवन मे कई दास्ताने देती है जो हर पल उजालों को बदलती है।
हर बार किनारे पर कोई पहचान अलगसी होती है जो जीवन मे कई दिशाओं मे अलग दास्तान हर बार देती है जो जीवन मे हर किनारे पर अलग दुनिया देती है जिसे परख लेने कि जरुरत हर लम्हा जस्बात बदलती है।
हर बार किनारे पर कोई पहचान अलगसी होती है जो जीवन मे कई किस्सों मे अलग दिशाओं कि पुकार हर बार देती है जो जीवन मे हर बार कोई अलग रंग देकर जाती है जो जीवन मे कई दास्ताने हर बार बदलती है।
हर बार किनारे पर कोई पहचान अलगसी होती है जो जीवन मे कई राहों पर रोशनी अलग तरह कि देकर जाती है जो जीवन मे किनारे पर हमे अलग दुनिया देकर जाती है जिसे हर मौके पर पहचान लेने से दुनिया बदलती है।
हर बार किनारे पर कोई पहचान अलगसी होती है जो जीवन मे कई दास्ताने जिन्दा होती है हर किनारे पर दिखती हुई हर पुकार को समझ लेने कि जरुरत हर मौके पर रहती है जो जीवन मे कई दिशाओं को अक्सर बदलती है।
हर बार किनारे पर कोई पहचान अलगसी होती है जो जीवन मे कई किनारों पर दुनिया कि अलग पुकार देती है जो चारो ओर से लेकर जाती है जिसे हर मौके मे समझ लेने कि जरुरत जीवन को हर बार रोशनी कि पहचान देती है जो जीवन को हर पल बदलती है।

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