Friday, 8 July 2016

कविता. ७९१. पौधों मे पत्ते।

                                               पौधों मे पत्ते।
पत्ते जो हवा पर हिलते रहते है पेडों के अंदर एहसास कि अलग आवाज जीवन को समझ लेते है पत्तों को समझ लेने कि अहमियत होती है।
पत्ते तो कई रंगों मे दिखते रहते है  उन्हे समझ लेने कि जरुरत हर मौके मे होती है जो हमे आगे लेकर जाती है उम्मीदे देकर जाती है।
पत्तों कि सरसराहट मे जीवन कि अलग सोच छुपती है जो हमे जीवन को परख लेती है जो हमे अलग तरह कि समझ देकर आगे बढती है।
पत्ते ही तो पौधों से बनते है पर हर पल जीवन मे वह ही तो हमे सच्चा मकसद देकर आगे बढते रहते है जो दिशाए बदलकर रख देती है।
पत्तों मे ही कभी कभी हमे कई एहसास दिखते है कभी हमारी खुशियाँ तो कभी हमारी फर्याद नजर आती है जो दिशाए बदलकर जाती है।
पत्ते ही तो दुनिया कि कहानी बताते है पर कभी कभी वह हमारी जीवन कि अलग कहानी बताकर आगे बढते रहते है जिनकी अलग कहानी बन जाती है।
पत्तों मे ही तो जीवन कि कहानी छुपी होती है उनमे अपनी कहानी सुनते है पर कभी कभी अपनी कहानी सुनते सुनते दूसरे कि कहानी भी मिल जाती है।
पत्तों से ही तो जीवन कि कहानी पता चलती है उन पत्तों को हमने अपनी कहानी दे दियी होती है पर कभी कभी अपने से ज्यादा जरुरी दूसरे कि कहानी लगती है।
पत्तों मे छुपे किस्सों मे दुनिया कि एक आवाज सुनाई देती है जो हमे अक्सर खुशियाँ देकर उम्मीदे दे जाती है हमे आगे ले आती है।
पत्ते ही तो जीवन कि कहानी को समझ लेते है जो जीवन को समझ लेने कि अहमियत होती है पर कभी कभी दूसरे कि जरुरत अहम नजर आती है।

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