Tuesday 19 July 2016

कविता. ८१२. जीवन को ठंडक।

                                                जीवन को ठंडक।
जीवन को ठंडक तो मन के ताकद से ही मिलती है मन कि ताकद ही तो जीवन कि कहानी हर पल हर बार बदलकर आगे बढती रहती है।
जीवन को ठंडक तो मन कि प्यास के बुझने से ही जीवन मे मिलती है जीवन कि ठंडक मन के ताकद से और एहसास से ही जीवन मे बनती है।
जीवन को ठंडक कि एक अलग जरुरत हर मौके पर होती है जो हमे किसी अलग दिशा से आगे लेकर चलती रहती है जो जीवन को बदलती है।
जीवन को ठंडक मन के सही खयाल से मिलती है जो साँसों कि कहानी दिल को छूँकर आगे बढती रहती है जो ताकद देकर चलती रहती है।
जीवन को ठंडक तो मन के तसल्ली से मिलती है उस ठंडक को समझ लेना जिसमे से कहानी बनती है जो जीवन को अलग एहसास देकर चलती है।
जीवन को ठंडक मन कि दिशाए सही ओर से बदलने से मिलती है जिसे मन कि नई उम्मीदे और नई रफ्तार बनती है जिनकी जरुरत हमे अक्सर होती है।
जीवन को ठंडक तो हमारे उम्मीदों से मिलती है वह मन कि अच्छी सोच से जीवन को मिलती है जीवन को हर बार ताकद देकर आगे बढती रहती है।
जीवन को ठंडक का एहसास दुनिया सच्चे खयालों से देती है जीवन कि कहानी हमारी दिशाए बदलकर आगे बढती है जीवन को रोशनी देकर अक्सर चलती है।
जीवन को ठंडक देने कि जरुरत मन को हमेशा होती है क्योंकि जीवन कि ताकद तो मन के उम्मीदों मे अक्सर बसती है जो आगे लेकर चलती है।
जीवन को ठंडक तो सही खुशियों मे मिलती है पर सही खयाल रखने से ही तो दुनिया अक्सर आगे बढती है उस खयाल कि रोशनी मे ही तो जीवन कि असली हँसी मिलती है।

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