Tuesday 12 July 2016

कविता. ७९८. हर किनारा।

                                                हर किनारा।
हर किनारा जिन्दा रहता है जिसे समझ लेना हमे आशाए देकर चलता रहता है क्योंकि कई किनारों से ही तो दुनिया बनती है पर किसी खास किनारे के लिए नजर तरसती है।
हर किनारा हमारे जीवन को अलग सुबह दे वह किनारे कि जरुरत होती है जो आगे बढती जाती है जो हर पल आगे बढती हुई जाती है जिनमे जीवन कि ताकद होती है।
हर किनारे के पार दुनिया कि कहानी सुनाई पडती है जो जीवन को हर बार बदलकर चलती रहती है जो जीवन कि दिशाए बदलती रहती है उम्मीदे देकर चलती है।
हर किनारा अपना नही होता है पर उसे समझकर जाने कि जरुरत होती है जो जीवन मे अलग किसम का मतलब देकर चलती रहती है जीवन को नया किनारा दे चलती है।
हर किनारा दे जाये वह उम्मीद जीवन कि जरुरत होती है जो जीवन को तसल्ली देकर आगे बढती रहती है वही तो अपनी दुनिया कि अहमियत होती है जिसकी जीवन एक जरुरत होती है ।
हर किनारा जिसे समझकर आगे समझ लेने कि अहमियत जीवन को हर पल होती है जो हमे आगे बढते रहने कि जरुरत होती है जिसकी जीवन को अहमियत होती है।
हर किनारा जीवन कि ताकद होती है जिसे आगे ले जाना ही जीवन कि सच्ची अहमियत होती है जो जीवन को अलग दिशाए देकर आगे बढती रहती है।
हर किनारा हमारी साँसे नही बनता है किसी किनारे को परखकर चुनना पडता है जिसमे हमारा हर कदम रहता है जिनमे खुशियों का एहसास छुपा रहता है।
हर किनारा जीवन मे हर पल उम्मीद नही देता है क्योंकि वह किसी और का किनारा होता है उसमे हमारा सुख छुपा होता है जो जीवन को खुशियाँ देकर चलता है।
हर किनारा अपना नही होता है हमे अपना किनारा हर पल ढूँढना पडता है जिसे परखकर आगे चलते जाना जीवन मे सबसे जरुरी होता है।
हर किनारा जीवन का अहम इशारा होता है जो जीवन को दिशाए देता है पर हमे सही किनारा ढूँढते रहने कि जरुरत हर बार होती है।

No comments:

Post a Comment

कविता. ५१२५. किनारों को अंदाजों की।

                              किनारों को अंदाजों की। किनारों को अंदाजों की समझ एहसास दिलाती है दास्तानों के संग आशाओं की मुस्कान अरमान जगाती...