Tuesday 12 July 2016

कविता. ७९९. अच्छाई का हिस्सा उम्मीद।

                                              अच्छाई का हिस्सा उम्मीद।
जब हम कुछ कहते है हमने जीवन को कुछ अलग ही समझ लिया है जब हम परखे तब हमे जीवन मे अलग तरह का एहसास मेहसूस हुआ है।
जब हम जीवन के हर कदम को समझकर आगे चलते जाते है हमे कदमों को परखकर आगे चलते है हमने अक्सर कई को बिना परवाह कुछ भी कहते देखा है।
जब हम जीवन कि धारा को समझ लेना शुरु करते है जीवन को समझ लेना ही तो जीवन कि सच्ची प्यास होती है जो जीवन को बदलकर रख देती है।
जब कदमों को समझकर जीवन को अलग एहसास होता है जिसे समझकर आगे चलते रहने कि जरुरत हर पल मन को मेहसूस होती रहती है जो दिशाए बदलती है।
जब कदमों मे ही साँसों का एहसास होता है जो जीवन को अलग दिशाए देकर आगे बढता रहता है जो हमारी जरुरत होती है आगे लेकर चलता है।
जब हम जीवन मे चलते जाते है कभी जीवन को समझ लेना हर पल जरुरत बनता रहता है पर कई बार बिना समझे ही अच्छाई कर दे तो भी जीवन रोशनी देकर चलता है।
जब जीवन को समझकर आगे चलना मुश्किल हो जाता है तब जीवन मे अच्छाई कर लेना ही हर मोड पर सही लगने लगता है जो उम्मीदे देकर आगे बढता है।
जब जीवन को समझ लेना जरुरी लगता है वही तो जीवन कि सच्ची ताकद बनकर आगे बढता है जीवन को अलग एहसास देकर चलता है आगे लेकर चलता है।
जब जीवन मे उम्मीदों कि बोच्छार होती है कभी तो सच्ची राह कि अहमियत समझ आती है क्योंकि वही तो उम्मीदों कि बजह नजर आती है नई रफ्तार देकर जाती है।
जब जीवन को समझ लेना हो तो अच्छाई कि अहमियत हर पल नजर आती है जो हमे जीवन कि अलग राह हर पल नजर आती है जो हमे रोशनी देकर चलती जाती है।

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