Monday 4 July 2016

कविता. ७८३. हँसी मे छुपा ईश्वर।

                                                 हँसी मे छुपा ईश्वर।
जब हमने ईश्वर आपको पुकारा हर बार कोई हमे रोक लेता है आज तक हम रुके रहे पर अब लगता है वह इन्सान हमारी नजरों का एक धोका है।
आप तो हमेशा पास हो हमारे आपको कोई फर्क ना था जीवन कि हर धारा मे मर्ज हो पर अपना मलहम भी हर मोड पे जीवन मे दिखता था।
हर मुश्किल को समझकर जब हमारा कदम आगे बढता था आपका साथ तो दुनिया मे हर पल हमे मजबूती देता है जीवन को एहसास दे जाता है।
जब जब हमारे कदम जीवन मे आगे चलते रहते है अक्सर आपके साँसों का एहसास हमे उम्मीदे दे जाता है सबसे बडी उलझन मे भी आपका साथ काम आता है।
जब हम ईश्वर को समझ लेते है उस ईश्वर को समझ लेना मुश्किल हो जाता है पर जब उलझन मे आँख मुँद लेते है तो जीवन मे आपका हाथ मिल जाता है।
जिसमे खुदा ने समझाया हमको उसको भी कहाँ आप समझ पाये है इसलिए आसानसी आपकी हँसी को उसने इतना मुश्किल बनाया है।
जीवन मे हर धारा को परखकर आगे बढते रहना जरुरी नजर आता है जिसे समझकर आगे बढते रहने कि कहानी मे जीवन अलग रंग दे जाता है।
पर हर धारा मे आप बसे हो आपका अंदाज जुदा नजर आता है जिसे समझ लेने से ही जीवन मे इन्सान को अलग तरह का गीत समझ आता है।
आपका साथ तो हर मौके पर हर मोड पर अक्सर नजर आता है जिसे समझकर जीवन कि हर ताकद को परख लेना जीवन को अलग तरह कि साँसे दे जाता है।
हर हँसी के अंदर जीवन कि ताकद को अलग परखने का एहसास होता है आपको ईश्वर समझ लेना बताता है वह कहता है पर मासूम मुस्कान मे ईश्वर छुपा होता है।

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