Wednesday 6 July 2016

कविता. ७८६. फूलों के अंदर।

                                             फूलों के अंदर।
फूलों कि खुबसूरती को एहसास अलगसा होता है उनको परख लेने पर ही जीवन को मकसद मिलता रहता है जो जीवन को समझकर चलता है।
फूलों मे एहसास को समझकर आगे बढते रहने कि जरुरत होती है जो दुनिया समझ लेती है जो फूलों कि कोमलता और खुशबू को समझते रहते है।
जब जब हम फूलों मे किसी एहसास को देखकर चलते है उसे समझकर ही दुनिया को परख लेने कि ताकद हर मोड पर दुनिया मे हर सुबह मे रखते है।
फूलों कि ताकद मे ही तो हम दुनिया को समझ लेना चाहते है जिसे समझकर परख लेने कि चाहत मे हम दिनरात तरसते रहते है जो ताकद देकर आगे बढते है।
फूल तो जीवन को नई उम्मीदे दे पाते है दुनिया के हर हिस्से मे वह हर पल जिन्दा रहते है जिनमे जीवन को समझ लेने कि जरुरत हर मौके पर हम रखते है।
जब फूलों को समझकर जीवन कि कहानी को समझकर आगे चलते है हर बार हर पल जीवन को परखकर दुनिया को समझ हम लेते है।
जो फूल कहानी मे रहते है उन्हे हर बार हम अपनी जुबानी समझ लेते है जिन्हे घंटो हम सुनते है वह गीत सुहाने समझ लेते है जो फूल से बनते है।
जीवन मे हर पल हम फूलों कि खुशबू को समझ लेते है जिन्हे हर पल हर मोड पर हम अक्सर समझ लेते है आगे चलते जाते है।
फूलों को समझकर जीवन मे हमे एहसास नये मिल जाते है जिन्हे परखकर जीवन को समझ लेने कि उम्मीदे देकर हम आगे बढते जाते है।
फूलों के एहसास को हम समझ ले तो जीवन मे आगे बढते रहते है जिन्हे समझ तो हम लेते है जिनके अंदर एहसास कई तरह के बसते है।

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