Thursday 28 July 2016

कविता. ८३०. सोचा करते थे।

                                                  सोचा करते थे।
सोचा करते थे मजबूत जो धागे हो तो टूट नही सकते पर जीवन मे समझा है जो धागे कई तरह के अक्सर बने है तो कुछ धागे तो अक्सर टूँटते ही रहते है।
सोचा करते थे कि हम खयाल रखेंगे तो जीवन के रिश्ते मजबूत ही होगे पर जीवन ने समझाया गलत राहों के खयालों को हम मन मे नही रख सकते है।
सोचा करते थे कि हम जीवन को आसानी से जी लेते उम्मीदे कम होंगी तो हम कम उलझेंगे पर जीवन ने समझाया लोग उम्मीदे रखते है हम से हम अपनी उम्मीदे कहाँ तय करते है।
सोचा करते थे कि हम जीवन को अपनी हिसाब से जी लेगे अपने दोस्तों का साथ दे तो मुश्किल को आसान कर देगे पर जीवन ने समझाया जो दुसरे कि जरुरत हमे पहले होती है।
सोचा करते थे कि हम अनजानों से क्या बात करे वह अनजान है वह कहाँ हमे समझ पायेंगे पर जीवन ने समझाया अनजाने ही कई बार हमे समझ लिया करते है।
सोचा करते थे कि हम जीवन मे सिर्फ अपनों मे जिया करेंगे पर जीवन ने समझाया जीवन कि कहानी बदलती है आजकल गैरों से बात किया करते है उनमे दोस्त मिलते है।
सोचा करते थे कि हम जीवन को सीधे राह पर चलते रहेंगे पर जीवन ने समझाया राहे सिर्फ सीधी या तेढी नही होती है जीवन मे कई राहे होती है उम्मीदों के कारवे अक्सर मिला करते है।
सोचा करते थे कि जीवन कि कहानी कई बार अलग तरीके से समझ लेंगे पर जीवन ने समझाया जीवन अपनी कहानी समझाता अपने हिसाब से ही है।
सोचा करते थे कि जीवन को हँसकर जी लेंगे तो रोने के लिए बहाने न बन पायेंगे पर जीवन ने समझाया रोनों के मौकों पर जब हसना सीखे तो ही जीवन को सीख लेते है।
सोचा करते थे कि जीवन मे किसी पर नाराज बिना हुए जी लेंगे पर जीवन ने समझाया जो सही खयाल दे वही हमे सही लगते है बाकी लोगों से हम नाराज रहते है।
सोचा करते थे कि जीवन मे सोची बाते जिया करेंगे पर जीवन ने समझाया जो मुस्कान दे वही राह हर पल सही मेहसूस होती रहती है जो उम्मीदे देकर आगे बढती रहती है।

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