Thursday 14 July 2016

कविता. ८०३. बार बार किसी बात से।

                                              बार बार किसी बात से।
बार बार किसी बात से जीवन को समझ लेने मे मुश्किल होती है वह बात तो वही होती है जो जीवन को बदलकर रख देती है।
बार बार किसी खयाल को समझ लेने कि जरुरत होती है उसे समझकर आगे चलते रहने कि जरुरत हर मौके पर होती है।
बार बार किसी बात को जीवन मे आगे बढते रहने कि जरुरत होती है जो जीवन को कुछ अलग चीज समझाकर आगे बढती रहती है।
बार बार चीजों मे दुनिया को समझ लेने कि जरुरत होती है पर कहाँ समझ पाते है हम क्योंकि हम लोगों को कहाँ फुरसत रहती है।
बार बार जिस साज से दुनिया मे आवाज सुनाई पडती है उस साज को समझ लेने कि जरुरत हर मौके पर हमे बजाने से पहले होती है।
बार बार जब सुबह होती है हमने अक्सर देखा है कोई आवाज मधुरसी सुनाई पडती है पर बिना लब्जों के कोयल भी कभी कभी अधूरीसी लगती है।
बार बार जिस राह पर चलते है उसकी मंजिल बदलती रहती है उस सोच मे ताकद होती है जिस सोच से दुनिया बदलती रहती है।
बार बार साँसों को कोई अलग कहानी सुनाई पडती है उन साँसों से ही तो दुनिया कि कहानी बनती है जिनमे खुशियों कि निशानी रहती है।
बार बार जिस सोच से जीवन कि साँसे बनती है पर किसी गलत सोच से उसी पल हमारी साँसे घुटती रहती है वह जीवन को अलग असर देकर आगे बढती है।

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