Monday 11 July 2016

कविता. ७९६. हरीयाली का असर।

                                                 हरीयाली का असर।
हरीयाली कि कहानी मन को छूँ जाती है मिट्टी मे छुपे पौधे से जीवन कि दास्तान बन जाती है जिसे समझकर दुनिया आगे बढती जाती है।
हरीयाली मे ही तो जीवन कि हर बार सुहानी कहानी नजर आती है मिट्टी से निकले उस पौधे मे जीवन कि निशानी हर पल नजर आती है।
हरीयाली जब एहसास देकर आगे चलती है तो जीवन कि दिशाए बडी सुहानी नजर आती है जो उलझन को उम्मीदे देकर चलती जाती है।
हरीयाली जीवन को अलग तरह का एहसास और मकसद देकर जाती है इसलिए जिन्दगी पर कुछ ऐसा असर कर जाती है जो हरीयाली से आगे लेकर जाता है।
हरीयाली मे ही तो कुछ ऐसी ताकद दिख जाती है जो जीवन को अलग एहसास दे जाती है जीवन को समझकर आगे बढती जाती है।
हरीयाली ही तो मिट्टी से उपर आते कि ताकद दे जाती है जीवन के एहसास को बदलकर जीवन को तसल्ली देकर आगे बढती चली जाती है।
हरीयाली को समझकर आगे बढते जाने कि जरुरत हर पल होती है जो जीवन को हर मौके मे कुछ ना कुछ एहसास देकर आगे चलती जाती है।
हरीयाली ही हर पल कि कहानी बदलती है क्योंकि हरीयाली उस मिट्टी से बाहर निकल जाती है जिसमे से उपर आना मुश्किल हर राह पर नजर आता है।
हरीयाली ही तो जीवन कि सच्ची ताकद होती है जो जीवन को सच्चा मकसद और मतलब देकर आगे उम्मीदे देकर चलती जाती है।
हरीयाली तो जीवन मे लढने कि सच्ची ताकद होती है जो जीवन को मकसद देकर आगे बढती चली जाती है वही तो लढना सिखाती है।
हरीयाली ही तो असली राह बताती है उम्मीदे पाना आसान नही होता है पर फिर भी वह जीवन कि सच्ची सोच नजर आती है।

No comments:

Post a Comment

कविता. ५१२४. बदलाव को लहरों की।

                                बदलाव को लहरों की। बदलाव को लहरों की मुस्कान कोशिश सुनाती है दिशाओं को नजारों संग आहट तराना सुनाती है आवाजों...