Tuesday 19 July 2016

कविता. ८१३. कभी रूह कोई बात कहती है।

                                            कभी रूह कोई बात कहती है।
कभी रूह कोई बात कहती रहती है उस रूह कि बात जीवन मे समझ लेना जीवन कि जरुरत होती है क्योंकि कभी कभी इन्सान के मुँह से ज्यादा रूह सही कहती है।
कभी रूह को अलग आवाज समझ लेने कि जरुरत हर मोड पर होती है रूह को समझ लेने कि जरुरत जीवन कि हर कहानी को अक्सर होती है जो मतलब देती है।
कभी रूह को परख ले तो जीवन को समझ लेने कि अहमियत मेहसूस होती है हमारी सोच ही हमारी दुनिया कि ताकद हर पल जीवन को समझकर अलग रोशनी मिलती है।
कभी रूह को परख लेना ही तो अक्सर दुनिया कि जरुरत होती है जो जीवन को समझ हर बार और हर पल देकर चलती रहती है आगे बढती रहती है जिसकी जरुरत होती है।
कभी रूह को अलग एहसास दे जाती है वह ताकद जीवन को अलग किसम का एहसास देकर आगे बढती जाती है जिसे समझ लेने कि जरुरत जीवन मे अक्सर होती है।
कभी रूह को परखकर उसके अंदर कि कहानी समझकर आगे चलते रहने कि जरुरत हर मोड पर जीवन मे उजाला देकर हर पल चलती रहती है उम्मीदे देती है।
कभी रूह को समझकर उसके अंदर कि बातों को समझ लेने कि अहमियत हर मौके पर होती है जिसे परखकर आगे चलते जाने कि जरुरत जीवन कि सच्ची रोशनी होती है।
कभी रूह के कई पडदों मे जीवन कि कहानी छुपी रहती है जिसे समझ लेने पर दुनिया हर किस्से मे जिन्दा रहती है जो जीवन को उजाला देकर आगे चलती है।
कभी रूह को कई किनारों मे समझ लेने कि जरुरत होती है क्योंकि रूह ही तो जीवन को मकसद दे जाती है उसकी ताकद कोई और ही होती है रूह कि ही हमे जरुरत होती है।
कभी रूह को पेहचान लो तो ही जीवन मे अलग तरह का मतलब मिल पाता है रूह ही तो जीवन कि सच्चाई होती है जो जीवन को मकसद और मतलब देती है बिना रूह कि कहाँ जिन्दगी होती है जो रोशनी देती है।

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