Tuesday 5 July 2016

कविता. ७८५. दिप जो रोशनी देता है।

                                                दिप जो रोशनी देता है।
दिप जो रोशनी देकर आगे बढते जाते है दिप के अंदर कि आग को हम समझ लेना चाहते है दिप के एहसास मे हम जीवन को परख लेना चाहते है।
दिप जो जीवन मे एक आँस दे जाते है वह एक आग का हिस्सा है जिसे समझ लेना जरुरी नही मजबूती जीवन कि होती है जो जिन्दगी बदलता रहता है।
दिप ही तो कभी कभी हमारी जीवन कि पेहचान बनकर आगे बढता है जो हमे आगे  लेकर चलता है खुशियाँ देकर आगे बढता है नयी सोच बनकर आगे बढता है।
दिप ही तो अक्सर जीवन को समझाकर आगे चलता है जीवन को हर मोड पर समझकर दुनिया को मतलब देकर हर पल आगे बढता रहता है।
दिप ही तो हमे उम्मीदे देकर चलता है जिसे परखकर आगे बढते रहना ही तो दुनिया मे सबसे जरुरी होता है जीवन उसके बिना कहाँ रोशनी दे पाता है।
दिप का मतलब ही अलग होता है जो जीवन को बदलकर आगे बढता रहता है जिसमे जीवन का एक अलग एहसास हर पल जिन्दा रहता है।
दिप ही आग है वही तो जीवन का सच्चा एहसास रहता है जो जीवन को समझ और अलग तरह कि जरुरत हर पल देता रहता है उम्मीदे देकर आगे बढता रहता है।
दिप ही तो जीवन कि नई साँस बन जाता है जो जीवन का अलग एहसास बनकर आगे बढता जाता है जो जीवन को उजियारा देकर आगे जाता है।
दिप ही तो जीवन कि ताकद होता है क्योंकि वही तो सच्ची प्यास होता है नया एहसास बनकर आगे बढता रहता है जीवन को बदलता जाता है।
दिप ही तो दुनिया कि ताकद होता है जो जीवन को रोशनी हर पल हर मोड पर देकर जाता है जीवन मे कभी कभी जीने के लिए तपना जरुरी होता है।

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