Saturday 16 July 2016

कविता. ८०६. बारीश को समझकर।

                                       बारीश को समझकर।
बारीश को समझकर उसका एहसास अलगसा होता है जो जीवन को हर पल पहचान अलगसी देता है जो आगे लेकर चलता रहता है।
बारीश के बूँदों कि कहानी जीवन को बदलकर रखती है जो हमे उम्मीदे देकर जाये यह जीवन कि जरुरत हर बार कहाँ रहती है जो आगे लेकर चलती है।
बारीश को समझकर जीवन कोई अलग एहसास दे जाता है जो हमे समझ लेना हर पल अहम रहता है जो हमे आगे लेकर चलता जाता है।
बारीश के एहसास को जब मन मेहसूस करता है जो पानी के छूँ लेने से जीवन को अलग किसम का मतलब देकर आगे बढता जो जीवन को मकसद देता है।
बारीश को समझ लेना जरुरी तो जीवन को होता है जो एहसास अलगसा अक्सर मेहसूस करके मन को आगे लेकर जाता है जो रोशनी दे जाता है।
बारीश को समझ लेना हर मोड पर रोशनी दे जाता है जिसे समझ लेना ही तो जीवन कि नई शुरुआत बन पाता है हमे आगे लेकर बढता चला जाता है।
बारीश को जो हम समझ लेते है उसमे एहसास अलगसा होता है जो जीवन को हर एक सुबह और श्याम एहसास कुछ अलग तरह का दे जाता है।
बारीश को समझ लेना सोच के अंदर एहसास अलगसा देकर चलता है जिसे परख लेना जीवन को समझ देकर आगे चलता रहता है उम्मीदे देकर चलता है।
बारीश के अंदर का एहसास जिन्दा हर पल रहता है जो जीवन को अलग कहानी बताता जाता है जीवन को आगे लेकर चलता रहता है जो मतलब देकर चलता है।
बारीश के अंदर जीवन को अलग पहचान मिल जाती है जो हमे हर बार सुहानी कहानी बताती है जो हमे आगे लेकर चलती जाती है दुनिया को बदलकर जाती है।

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