Saturday 1 August 2015

कविता १०७. दिशा बदलती है

                                                               दिशा बदलती है
दिशा और राहे  हर बार बदलती रहती है हर बार हमारे जीवन की मजधार बदलती रहती है उसे समजो जिस सोच में नयी बाते होती है
वह दिशा हर बार हमें कई बाते बताती है जब जब हम राह को समजो जीवन में उम्मीद तो आती है पर राह बदलना तो सोच ही होती है 
दिशा और राहों पर हम हर बार समजते है सारे जीवन पर अलग अलग से असर भी होते है हर बार हम जिसे समजे वह राह नहीं मिलती है 
दिशा बदलती है और नये किनारे देती है जब जब हम आगे बढ़ जाये उम्मीद तो होती है जिस दिशा को हम समजे वह अपना मोड़ बदलती है
सारी दिशा के अंदर नये किनारों की एक राह सी दिखती है जिसे हम समजे वही उम्मीद हमें हर बार रुलाती है क्युकी उम्मीद तो बदली हुई सी होती है 
हर बार उस राह को समजे जिसमे नयी तरह की सोच भी दिखती है सोच के भीतर नयी नयी उम्मीद सी जिन्दा रहती है 
जब जब दुनिया बदलती है हर बार सुबह से रात भी होती है हमे समजने की जरूरत है की क्या रात दिन से कुछ कम होती है 
वह नींद देती है वह दुनिया में चैन देती है वह रातों को हर पल सपने और खुशियाँ देती है हर सपने में नयी नयी तरह की आशा देती है
हर बार जो चलती है जीवन में तरह तरह के मतलब देती है हम जो सोचे हर बार दुनिया उम्मीद देती है हम जो चाहे तो दिशाये बदलती है
जब जब आगे बढ़ना चाहे जिन्दगी यही समजाती है दुनिया की सोच बदलती है हर बार दुनिया की मंज़िल बदलती है 

No comments:

Post a Comment

कविता. ५१५०. अफसानों की समझ अक्सर।

                           अफसानों की समझ अक्सर। अफसानों की समझ अक्सर आवाज दिलाती है तरानों को कदमों की आहट परख दिलाती है दास्तानों को एहसास...