Friday, 7 August 2015

कविता ११९. नयी सुबह

                               नयी सुबह
सूरज के किरणों के अंदर नयी सुबह दिखती है पर हम जब हम आगे चलते है दुनिया हर पल बदलती है
जीवन के उजियारेसे अँधियारे तक हमे हर बार आना और जाना होगा उस जीवन के अंदर हमे कई बातों को समजना होगा
हर रोशनी के अंदर हमे जीवन को समजना बहुत जरुरी होता है जब हम आगे बढ जाते है तब उसे समजना अहम होता है
सूरज को हर पल हम समजे तो जीवन को समजना है जरुरी होता जब जब हम उजियारों को समजे तभी तो जीवन  होता है
उनका आना जाना जब जब हम जीवन को समजे उजियारों का होता है आना पर जब जीवन मे मुश्किल आती है
जरुरी होता है जीवन को समज पाना जीवन को हर मोड पे तो होता है तरह तरह का रंग दिखाना हमे हर बार तो जरुरी होता है
खुशियों को है समज पाना हर बार रोशनी के खातिर हर बार हर पल हमे है चलना और जरुरी है जीवन मे संभलना
जब जब हम पार करेंगे अँधेरे रोशनी के आयेंगे किनारे हर पल जब हम जीवन समज लेंगे तभी मिल जायेगे वह किनारे
पर हमने तो जीत को ढुढा है और खो दिये है शांती के साये जब जब हम जीवन को समजे तो हर बार यही उम्मीद पाये
हार मे भी जो जीवन मे आगे बढना सीखे वही जीवन को शांती और खुशीयों के तोफे आसानी हर बार दे जाये

No comments:

Post a Comment

कविता. ५७०७. अरमानों की आहट अक्सर।

                       अरमानों की आहट अक्सर। अरमानों की आहट  अक्सर जज्बात दिलाती है लम्हों को एहसासों की पुकार सरगम सुनाती है तरानों को अफसा...