Sunday 9 August 2015

कविता १२३ . जीवन के अंदर के रंग

                                     जीवन के अंदर के रंग
जानो क्यू जब हम जीवन को जो रंग समजना चाहते है लोग हर पल उसी सोच से कतराते है हर पल जब जब हम समजाये लोग अलग सोचना चाहते है
कतराते है हर बारी पर जीवन को ना समजना चाहते है जब जब हम जीवन को समजे हमे नये नये रंग ही बेहतर लगते है
पर लोगों के पास वक्त नहीं है कहते बस यही है पर जीवन मे डरकर ही अंदर से कतराते है हर बार जो हम समजाते है
पर लोग नहीं समज पाते है की रंग तो अहम है पर लोग उनकी अहमीयत कहा कभी समज पाते है क्योंकि रंग ही अहम है
रंग जो जीवन को जिन्दा कर जाते है पर  जब जीवन को रंग मिलते है वह ख़ुशियाँ भी दे जाते है
उन रंगों को समजलो तो वह जीवन बनाते है रंग तो वह चीज़ है जिसमें रंग हमेशा कोई ना कोई असर तो ज़रूर कर देते है
जीवन के हर सोच पर जो बातों को समजते है वह हर मोड़ पर रंगों को चाहते है समजो उस जीवन को जिसमें आप रहते है
रंग को अंदर हम हर बार दुनिया की कमी को समजते है क्योंकि रंग ही है जो दुनिया के हर मोड़ को आसानी से जिन्दा कर देते है
रंग तो वह चीज़ है जिस को हम अगर समज पाते है ममता और प्यार को आसानी से जीवन का हिस्सा बनाते है
जब हम जीने लगते है रंग ही सब से खूब नज़र आते है रंग कई चीज़ों को आसानी से समजना हमे कई बार सिखाते है
रंग तो हर तरह के होते है जो जीवन को हर जीवन बना पाते है हमे जिन्दा कर जाते है

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