Tuesday 11 August 2015

कविता १२७ . नयी और पुरानी कहानी

                                               नयी और पुरानी कहानी
जब कोई कुछ कहने से पहले ही समज जाता तो मन मे शक सा होता है मन कहने लगता है की कही हम किसी को भूले तो नहीं
जब जब जीवन आगे बढ़ता है मन तब तब रुकके कहता कही कोई बात छूती है फिर भी हमने भुला तो नहीं दी
जब जब वह उन बातों को दोहराता है मन कहता है कई बार इस जीवन की दौड़ मे कई कहानियाँ पीछे छोड़ी होगी
जिनमें हम जीना चाहते है वह बात भी गलती से जीवन के हाथों से चुपके से निकल भी शायद किसी मोड़ पर गयी होगी
पर फिर से दोहराने पर अक्सर लगता है क्या कोई गलती होगी हो सकता है अनजाने मे किसीने बात दोहराई होगी
फिर मन बस हँसकर कहता है जीवन मे जो अच्छा लगे वही सही है हमारे मन के लिए क्यू सोचे हम कहा चल दीये
जिन्दगी के अंदर नयी शुरुआत हमेशा सुहानी है पर हर शुरुआत के पीछे छुपी जीवन की कोई कहानी है जो हमे समजनी है और समजानी है
जीवन के अंदर हर मोड़ पर समजनी एक नयी कहानी जिसमें हमे समजना है की बात वही पुरानी है
समजनी नयी चीज़ें हमे जो हमे शायद लगे की यह चीज़ें थोड़ी पुरानी है जीवन की लिखनी एक कहानी है
हर कहानी की कोई भी शुरुआत हो पर वह कहानी अच्छे आख़िर से लगती बड़ी ही सुहानी है जीवन की निशानी है
जो अगर गेहराई से देखे तो मन को लगती बड़ी प्यारी और सुहानी है जीवन की एक अलग कहानी है जो नयी और पुरानी है

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