Thursday 20 August 2015

कविता १४६. आसान जीवन

                                                                आसान जीवन
जिस मोड़ पर हम सोचे हम रुक नहीं सकते उस मोड़ पर हम हर बार कुछ ना कुछ तो हम जरूर है कहते जब जब हम जीवन को समजना चाहते है
जीवन के हर राह पर चीजों को समजना चाहते है हम चाहते है के जीवन काश आसान हो जाये पर सवाल तो यह है उसके लिए हम कुछ नहीं करते
जिस मोड़ के अंदर जीवन को हम समज लेते है राहों पर हम अक्सर जीवन को जीते है पर हम अपने डर को ना दूर करते है
ना हम अपने जीवन को आसानी से समजते है मुश्किल से हम जीवन को हर बार अपनाते है हर बार उसकी बात को अलग तरीके से दोहराते है
जीवन के अंदर हम बात को आसानी से समजते है मोड़ पे हम जब दुनिया को समजते है दुनिया में सारी सोच हम समजते है
पर फिर भी हम आसानी से दुनिया को जी कर दिखाते है मुश्किल से हम आगे बढ़ते है और दुनिया को आगे बढ़कर दिखाते है
क्युकी अक्सर अपनी गलत सोच पर हम सोचते रहते है उसी के अंदर हम अपनी राह को समजना चाहते है जिस पर हम अक्सर सोचते है
चीज़ों के अंदर कई बार हम जीवन को समजते है पर जाने क्यों हम जीवन की हर मोड़ को समजना चाहते है उसके अंदर  जीना चाहते है
जब जब हम आगे बढ़ते है दुःखों को समजना चाहते है उस कोशिश में जीवन को मुश्किल बनाते है आसान नहीं होता है जीवन को समजना यही सोच हम रखते है
आसान नहीं है सही सोच को रखना पर यही समज से तो हम जीवन मुश्किल बनाते है जिस जीवन को आसानी से समजे उसमे मुश्किल बढ़ाते है
अगर हम मन से कह दे की जीवन कितना आसान है तभी हम जीवन को आसानी से सुलजा पाते है अपने जीवन में खुशियाँ लाते है

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