Tuesday, 18 August 2015

कविता १४१ दिल का बयान

                                               दिल का बयान
हर पल जीवन का कोई किस्सा दिल से जो बयान होता है अफ़साना बन जाता है जो दिल बयान करता क्यूकी दिल जूठ नहीं कहता दिल हाल बयान करता है
जिसे कुछ लोग ना समजना पाये पर कई लोगों के दिल की बातों को अक्सर समज भी पाते है जो समजेंगे जीवन को उस मे हर मोड़ नया ही पाते है
जब दिल तूफ़ान दिखता है मन मे काटा सा चुभ जाता है हर मोड़ पर अक्सर सोचे हम एक तुफानसा मन मे आता है दिल मे तो कई क़िस्से होते है इस जहाज़ के कई हिस्से होते है
पर जो तूफ़ान को पार कर जाता है जीवन को नया अहसास सिखाता है दिल को जो कहना है वह एक दिन कहकर ही रहता है क्यू रोके उसको जो जीवन की राहों मे आधार नज़र आता है
दिल मे कई मतलब है जिनका तूफ़ान नज़र आता है पर दिल तो आख़िर वही है जिसमें शिशे की तरह जीवन का सार नज़र आता है जीवन की राह पर जब दिल सच कहना चाहता है
तो मुश्किलों की दीवार नज़र आता है उस दिल को अगर चुप करो तो दुनिया मे तूफ़ान आ जाता है क्यूकी कभी ना कभी दिल सच तो कह ही जाता है जीवन मे तूफ़ान लाता है
क्यूकी दबे हुए पानी को जब छोड़ा जाता है उसमें जो ताकद वह पाता है उसे कोई ना रोक पाता है जब जीवन आगे बढ़ता है दिल उसे समज नहीं पाता है
जब झूठ का सहारा लेते है तो दर्द हमारे दिल को तडपाता है जब जब हम जीवन को समजे नई उम्मीद सी लेकर आता है जी लेते है सचाई से तो ही दिल तसल्ली पाता है
दिल तो सच की राह ही चाहता है चुप रहना उस दिल को कभी ना भाता है वह सच कहता है और हर बार सच सुनना चाहता है हर तूफ़ान से लढ के आगे बढ़ना चाहता है
क्यू रोके उस दिल को जो सच के लिए लढना है आख़िर सच तो कभी ना कभी बाहर आता है क्यू ना आज ही कह दे उसे जो कल मजबूर मे कहना ही ज़रूरी हो जाता है

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