Sunday, 30 August 2015

कविता १६६. सितारों के पार रखे ख्वाब

                                                         सितारों के पार रखे ख्वाब
आसमान के आगे कई तारे होते है जीवन की हर सोच मे अलग अलग एहसास होता है जीवन को जो समजो तो सितारों के पार भी उसका नया किनारा होता है
आसमान से भी आगे जहान का वह हिस्सा होता है जिसे समजने के लिए जीवन हर बार आसमान देखता है जब जब जीवन को ध्यान से देखो तो उसमें एक सपना दिखता है
उसे अगर समजलो तो उसमें कई जीवन जिन्दा है जब जब उस जीवन को हम समज लेते है उस जीवन के अंदर कई ख्वाब भी बुनते और क्यूँ ना बुने उनको ख्वाब ही तो एक ऐसी चीज़ होते है
जो बिना किसी किंमत के जीवन मे आते है और ख़ुशियाँ दे जाते है ख्वाब तो वह चीज़ है जिन्हें बिना किसी किंमत के खाली ज़ेब से भी हम पाते है पर फिर लोग जाने ख्वाब देखने से कताराते है
क्यूँ डरे उनके टूटने से हम क्योंकि हम तो नये बना लेंगे वह मुफ़्त मे तो आते है कहा उन्हें बनाने मे हमारे पैसे जाते है जो उनके टूटने पर दिल के दर्द से डरे वह कहा जीत पाते है
जीवन मे कोई चीज़ ऐसी नहीं है जो कभी ना टूटे फिर क्यूँ डरे उन ख्वाबों से जब उनके बिना भी कभी कभी दिल आसानी से टूट जाता है बिना देखे ही कोई ख्वाब मन टूट भी जाता है
तो क्यूँ ख्वाबों को रोके हम जीवन के अंदर अगर ख्वाब ही बस हमे उम्मीद देते है ख्वाबों के अंदर हम अपनी दुनिया पा लेते है
तो हम बस ख्वाबों को देखे हर बार सितारों को पार कर लेते है ख्वाबों को समजो तो वह दुनिया आसान करते है ख्वाब ही है जो हमें जीवन देते है
ख्वाब तो हमें जिन्दा रखते है जो मन को खुशियाँ देते है हर पल ख्वाबों को समजो तो वह दुनिया को हर पल समजे तो वह खुशियाँ देते है
क्युकी बस ख्वाब ही है जो हमें जीवन देते है उस सोच को दुनिया समज सके तो हम सितारों के पार भी जा सकते है क्युकी वही सितारे हमें खुशियाँ देते है 

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