Thursday 6 August 2015

कविता ११८. सही राह चलना

                                  सही राह चलना
हम जो कुछ कह दे या आप कुछ कह दे फर्क नही पडता अगर सूर वही हो तो गीतों के बदलने से कोई फर्क नही पडता
जब जब हम आगे बढ जाये जीवन मे नया मतलब है हर बार बनता जो हम करना चाहते है उससे हमारा जीवन है बनता
पर फिर भी जब लोग कोई गलत राह से उसी मकसद को पाते है तो कितना गलत लगता है जीवन के बारे मे यह कहना
जीवन के हर मोड पर है मुश्किल है समजना हर बार हम कहते है मकसद तो अहम है पर अगर गलत तरीके से चले तो
बडा उलझन भरा है जीवन उसमे आगे बढना क्युकी सही मंजिल काफी नही है जरुरी होता है हर बार सही तरीके से चलना
जब जब हम आगे बढ जाते है आसान नही है सही राह से चलना  जीवन मे जरुरी है चीजों को समजना और सही से चुनना
सिर्फ हर मोड पर हमे नही होता चलना जरुरी है सही तरीके से आगे बढना जीवन को भी जरुरी होता है ले जाना
बस हम सही है यह काफी नही है सही रस्त्ते को अपना कर यह जरुरी है  की दुनिया को जताना काफी नही है बस आगे बढ जाना
क्युकी जरुरी होता है जीवन का आगे निकल जाना जब जब हम आगे बढते है जरुरी है सही तरीके को आजमाना
जीवन के अंदर हमे हर बार नयी नयी सोच को है समज लेना उससे भी जरुरी है सही राह मन से हर बार चलना


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