Saturday, 8 August 2015

कविता १२१. जीवन की धारा

                                                                   जीवन की धारा
कोई नयी सोच हम को जीवन देती हर बार जीवन को कोई समज नयी समज भी देती है हर बार हमे जीवन नये तरीके से सीखाती
हर चीजों को समजना चाहता है हम जीवन के अंदर हर रंग मे रोज नयी सोच जिन्दा हो जाती है जब जब हम समजेंगे जीवन को
तो जीवन की नयी धारा जिवित हो जाती है जीवन को समजो हर पल तो जिन्दगी फिर से जिन्दा कर जाती है हर बारी जब जीवन को
तुम को जीवन के अंदर नयी शुरुवात हर धारा से ही मिल पाती है उस हर एक धारा के अंदर जीवन को नये असर दे जाती और समजाती है
जीवन को जब जब हम समजे नयी रोशनी जिन्दा हो जाती है हम जब जब आगे बढ जाती है वह तो बस एक धारा है जो जीवन को रोशन कर जाती है
पर धारा तो बहती रहती है वह कहा रुक पाती है पर जब जीवन को समजो तो उसको अंदर हर तरह की नयी धारा जरुर आती है
जब धारा को हम समजे तो सारी दुनिया समज आती है धारा कभी एक नही रहती वह धारा तो हर बार बदलती जाती है
वह जीवन की तरह ही होती है जो पहले तो जिन्दा होता है और बाद मे हर पल बदलता जाता है और हमे खुशियाँ तोहफो मे देता है
पर जीवन ऐसी चीज है जो दुनिया मे नये नये खेल दिखाती है खुशीयों के साथ कभी कभी वह जीवन भी दे जाती है
जीवन को समजो तो हम हर बार खुशियाँ पा जाते है उसके अंदर के गमों को भी हम हर बार हर पल खुशियाँ समज कर जी लेते है

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