Monday 24 August 2015

कविता १५३. तूफ़ानों को पार कर जाना

                                      तूफ़ानों को पार कर जाना
तरह तरह के तूफानों से हम तो आसानी से लड़ लेते है पर कभी कभी यह तूफान भी हमें नया जीवन दे देते है तूफानों के साथ भी कभी हम समझौता करते है
तूफ़ानों के साथ भी हम आगे बढ़ा करते है जब जब हम उम्मीदें ले आये तो जीवन को साथ भी रख लेते है उन्हीं के सहारे हर बारी जीवन की कश्ती पार करते है
जब जब हम जीवन जीना चाहे उम्मीदों के किनारे मिलते है पर ख़ुशक़िस्मत वह दिन है जिसमें जीवन सीधा बहता है तूफ़ान के इशारे नहीं मिलते है
पर अक्सर ऐसा होता ही नहीं जीवन मे ग़लत इशारे भी मिलते है तो ख़ुशी से जी लो उस पल को जिसमें उम्मीदों के सिर्फ़ किनारे मिलते है आँसू से दूर ख़ुशियों के किनारे मिलते है
तूफ़ान के अंदर हमे नये इशारे करते है सारी उम्मीदें हमे आगे ले जाती है तूफ़ानों के पार हमे कई किनारे मिलते है क्यूकी वो एक दरिया है जिस मे तरह तरह के इशारे मिलते है
कभी कभी हम जीवन को समजते है तूफ़ानों से आगे बढ़ते है जीवन को जो आगे बढाये ऐसी तूफ़ानों को हर बार पार कर लेते है आगे तो हम बढ़ते जाएँगे तूफ़ान हमे ना रोक पाते है
तूफ़ानों को पार कर ले तो ही जीवन का मतलब पाते है जीवन तो तूफ़ानों से भरा है उसे हम ना कभी समजना चाहते है पर तूफ़ान तो जीवन देता रहता है
पर हम उसे कभी ना कभी तो समजना ज़रूरी है पर हम उस सोच को ही नहीं समजना चाहते है तूफ़ान तो वह होते जो जीवन को बदल ही देते है पर फिर भी वह जीवन मे आते है
वह रुख़ मोडे तो  मुड़ कर भी खड़े रहते है वह जीवन मे आगे बढ़ जाते है आसानी से राह कहा हम जीवन की चुन पाते है चोट तो हम हर बार खाते है पर हर बार संभल भी जाते है
तो तूफ़ानों से क्या डरना तूफ़ान भी हम हर बार पार कर जाते है जो जीवन को हँस कर जीना सीखले वह तूफ़ानों को पार करना चुटकी मे मुमकिन हम कर जाते है

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