Tuesday 15 September 2015

कविता १९७. हकीकत

                                                                      हकीकत
हर हकीकत को समजो तो जीवन में कुछ ना कुछ बात होती है जीवन हर पल में एक सौगाद होती है जीवन को समजो तो हर पल कुछ अलग सा लगता है उसमें उम्मीदों की सौगाद होती है
जब जब किसी चीज़ में कोई नयी बात होती है उसी पल जीवन में नयी शुरुवात होती है हर एक हकीकत में जो जीवन की बात होती है वह जीवन को अक्सर खुशियाँ देती है
हकीकत को समजे तो दुनिया में हर बात मे नई तरह की सोच होती है जिसे परखो तो जीवन में नई सुबह भी होती है हर हकीकत में आगे बढ़ने की नई शुरुवात होती है
जिसे अगर हम परखे तो हमें जीवन की उम्मीदे मिलती है जब हम जीवन को हर हक़ीक़त एक अलग ही कहानी बनाती है उसे हर समजे तो जीवन मे अलग ही निशानी मिलती है
हकीकत में रूप कोई तो मतलब होता है जो जीवन को हर बार हर मोड़ पर समजता रहता है जीवन की सारी सोच में अच्छा असर होता है जब जीवन कोई हकीकत बनकर समजा जाता है
हर हकीकत में कुछ ना कुछ कहानी तो जरूर होती है जीवन में हर बारी हर चीज़ की अलग निशानी तो जरूर होती है अगर जीवन को समजे तो हकीकत को हर बार समजना होता है
हकीकत के हर पल से ही जीवन बनता और सवरता है जीवन के हर किस्से में कुछ तो नया किस्सा होता है हर हकीकत में जीवन का नया हिस्सा बनता है
अगर जीवन में हर बार उसे ख़ुशी से जी लेते है
हर हकीकत में हमेशा जीवन के नये नये मोड़ आते है जिन्हे हम समजते है और जिन्हे दुनिया को समजाने की कोशिश हर बार करते है हकीकत के अंदर हर बार अलग सोच होती है
जिन्दगी आखिरकार ख्वाब नहीं बस हकीकत होती है जब जब सारी चीजे जीवन में होती है वह जीवन को हर बार एहसास देती है वह समजती है जीवन को और उसकी धारा को जिन्दा रखती है
जिन्दगी ख्वाब नहीं हर बार हकीकत होती है जो जीवन पर एक अलगसा असर करती है जिन्दगी को समज लेते है तो उसमे कई किसम के ख्वाबों के अंदर जीवन की एक हकीकत होती है 

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