Monday, 14 September 2015

कविता १९४. एक चाँद

                                                                     एक चाँद
रातों के अंदर हर बार उजाला होता है हर बार जीवन का कोई ना कोई तो सहारा होता है काली अँधेरी रात भी जब जब हम अच्छे से देखते है उस रात के अंदर कई तरह के सवाल हमेशा दिखते है
रात के अंदर जीवन का कोई तो किनारा दिखता है अगर हम रात को समजले तो जीवन में नया रंग हमेशा दिखता है पर फिर हर रात मे हमे उम्मीदों का एक नया सा चेहरा दिखता है
राहों  मे हर बार अलग ही मतलब होता है अँधेरों के अंदर अक्सर उजाला होता है जीवन के भीतर ढूँढ़े तो किनारा जो जीवन के अंदर नयी नयी सोच के उम्मीदों के किनारे दिखाते है
हर बार जो हम समजे तो कभी कभी रात के सन्नाटे मे उगते हुए चाँद के खूबसूरत रंगों मे कई तरह के सहारे हमेशा दिखाते है चाँद के अंदर प्यारी रोशनी जीवन को हर बार छू लेती है
चाँद को हर बार रोशनी देखते एक बार तो छूना अक्सर उसे चाहते है पथ्तर होते है बस उसमें दिल से तो यह जानते है पर फिर भी चाँद का पत्थर कभी कभी उस पर उतर कर छूना चाहते है
पर यह नहीं मुमकिन यह दिल जानता है चाँद के रंग जो मन को छू लेते है उन्हें हर बार जीवन मे समजना चाहते है चाँद मे नये रोशनी कि शुरुआत लगती है चाँद से हर बार चांदनी झलकती है
हर बार उसमें से जीवन का नया रंग जिन्दा होता है अँधेरा उस चंदा कि बजह से प्यारा लगने लगता है चाँद तो एक ख़ास उम्मीद देता है कभी मेहनत से तो ढूँढ़ो वह सबको मिल जाता है
उस चाँद कि बजह से हर अँधेरा सुंदर होता है बस उस चंदा को देखकर हर अँधेरा रोशन होता है जब देखो उसके दागों को तो उनसे भी प्यार होता है
क्योंकि जीवन मे हर बार चाँद अँधेरे मे ही दिखता है धीरे धीरे मन को अँधेरा लुभाने लगता है जब हम किसी चीज़ को चाहते है तो उसमें ही जीवन बसता है
चाँद को समजो तो जीवन बस चाँद को देखता है और अंधियारा उसकी खूबसूरती बढ़ाने कि बजह दिखता है चाँद के अंदर बहोत खूबसूरती जो देता है वह अंधियारा भी प्यारा लगता है

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