Monday, 21 September 2015

कविता २०९. सुबह कि नई शुरुआत

                                                              सुबह कि नई शुरुआत
हर बार सुबह के अंदर रोज एक नई शुरूआत होती है जिसे अगर हम समजे तो जीवन में नई चीज़ों से ही जिन्दगी होती है
पर कभी कभी लोगों को पुरानी चीज़ों से इतनी मोहोबत होती है के नई चीज़े  मन पर असर नही करती है पर कभी पुरानी चीजों से ही दुनिया आगे बढ़ती है
सुबह में ही जीवन की शुरुआत होती है जो जीवन को हर बार नये तरीके समझाती है हर बार सुबह के अंदर नई शुरुआत होती है
पर कभी कभी सुबह के अंदर हर नई शुरुआत होकर भी वह सुबह हम पर असर करती है जब जब हम जीवन को समजे उसके अंदर सुबह दिखती है
उस सुबह के अंदर नई सोच हमेशा जीवन पर असर करती है जीवन में हर बार नई शुरुआत उम्मीदे देती है हर बार हमारी सोच यही कहती है
नई सुबह में जिन्दगी रहती है हर बार शुरुआत होती है तभी तो जीवन को हर बार समज लेते है तो नई शुरुआत होती है पर हम जीवन को समज लेते है
क्योंकि नई शुरुआत होती है जीवन के अंदर जब हम परखे जीवन को तो हर बार नई किसम की हर बार कहानी में नयी दिशा दिखती है
जब जब आगे बढ़ते है तो ही पुरानी चीज़ों को पीछे छोड़ ने की शुरुआत होती है सुबह के अंदर हर बार नई सोच जीवन पर असर करती है
सुबह जो जीवन को उम्मीदें दे वह पुरानी यादें छोड़ने के बाद ही होती है क्योंकि चाहे कितनी भी प्यारी हो लेकिन यादें तो पुरानी बात होती है
जो जीवन की बस पिछली बात होती है जिसे जीने में ही जीवन की नई शुरुआत होती है जिसे समज लेते है तो जीवन में वह सोच एहसास देती है 

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