Friday 4 September 2015

कविता १७५ . दिल के अंदर

                                                                  दिल के अंदर
जब हवा ने हमे पैगाम दिया किसीने सुना हो या ना हो हमने हर बार सुना जब हवा की आहट मे कहानी थी लिखी किसी को वक्त हो या ना हो हमने हमेशा मन से वह सुनी
क्योंकि सुनने को तो आवाज़ हर बार सुनाई पड़ती है पर उसे सुनने को कभी कभी तकलीफ़ सी होती है क्योंकि वह आवाज़ कई बार मन चाही बात नहीं कहती
वह सच कहती है अल्फाज नहीं बदलती अगर आगे बढ़ जाये तो जीवन के अंदाज़ बदलती है हर कदम पर वह बस सच ही कहती है हवा के अंदाज़ दुनिया नहीं समजती
क्योंकि वह अपने सोच के अलावा कहा किसी को सुनना चाहती है हर बार आँख बंद कर के सोचो तो मन मे सही गलत की बातें अपने आप समजती है पर कभी कभी उन्हें सुनने से मन की दुनिया बदलती है
इसीलिए यह बातें अनसुनी करते है यह लोग क्योंकि बातें अक्सर उन्हें सच्चे हालात दिखती है वक्त नहीं है सच सुनने को जीवन मे क्योंकि सच सुनने से जीवन मे उन्हें उलझने मिलती है
अगर सुनना चाहो तो हवा उसे सुनाती है हर पल जीवन का हर राज वह हमे बताती है सच कहे तो हवा नहीं पर अपना दिल ही वह कहानी बताता है
पर हम नहीं सुनते तो वह हवा बनकर बताता है कैसे आसानी से समज सकते है हम पर जाने क्यूँ मुश्किल बनाते है मन को समजने की जगह उसे ही चुप कर जाते है
हवा के अंदर जो बातें मन समजाता है सच कहे तो उस मन को सही बातों का अनदेखा करना आता है अगर हम समजे तो दिल हर बार नयी बातें समजाता है
हवा की जगह दिल खुद ही वह बात जीवन मे बताता है क्योंकि दिल कई तरह की उम्मीदें जीवन मे ले आता है पर उनसे पहले वह मुश्किलें ही लाता है
पर पार करो उन सबको तो वह कुछ ऐसी दुनिया लाता है जिसमें हमे किसी तरह ग़म नहीं डरा पाता है क्योंकि मन की ताकद ही दुनिया को हर बार आगे ले जाती है

No comments:

Post a Comment

कविता. ५१४६. सपनों को एहसासों की।

                               सपनों को एहसासों की। सपनों को एहसासों की कहानी कोशिश दिलाती है लहरों को इशारों की समझ सरगम सुनाती है उम्मीदों...