Thursday 24 September 2015

कविता २१५. हवाओं का असर

                                         हवाओं का असर
हवाओं के छू ने से भी मन को तसल्ली होती है जब मन शांत हो तो बिन बारिश के भी हवाओं मे ठंडक होती है जब जब जीवन को परख लो तो जीवन कि सोच बदल जाती है
धीरे धीरे से छू कर हवाए ख़ुशियाँ दे जाती है हवा तो वह होती है जो अंदर एहसास नहीं रखती वह तो हमारी सोच है जो हवाओं मे भी एहसास हर पल भर देती है
उस हवाओं मे जब जिन्दगी जिन्दा होती है हर बार वही हवाए जीवन मे एहसास भरती है यह काम नहीं हवाओं का सच मे मन से वही काम होता है हर पल जो समजे हम मन को एहसास हर चीज़ मे जिन्दा होता है
जीवन को समज ले तो सबकुछ मन का खेल ही लगता है हवा तो हर बार एहसास दिलाती है जो जीवन को समज लेता है जब जब जीवन के हर मोड़ पर नई शुरुआत होती है
हवाओं कि नई शुरुआत को जीवन आगे ले जाता है वह सोच जो हवाओं को छू लेती है उसमें अलग ही असर होता है हवाओं के अंदर भी जीवन का मक़सद होता है
हवाओं के अंदर अलग ख़याल मन ही तो लाता है मन का परिंदा हर बार उड़ता जाता है हवाओं के अंदर  वह सोच लाता है क्योंकि मन को वह समज लेता है
हवाओं को समज लो तो वह जीवन के अंदर अपने मन कि सोच ही भरती है पर फिर भी जाने क्यूँ ऐसा लगता है कि हवा ही जीवन मे मतलब भरती है
उन्हें समज लेते है तो दुनिया नई बनती है उनके अंदर ही अलग सोच जीवन मे हवा हमे समजा लेती है वह जीवन के अंदर हर बार ख़ुशियाँ भर देती है
हवा जो हमे हर बार नई रोशनी देती है उसके अंदर दुनिया कि ख़ुशियाँ होती है हवा के अंदर अलग सोच हमेशा रहती है जो जीवन को कुछ तो असर हो जाता है
हवाओं मे कुछ तो एहसास ज़रूर होता है हवा तो अलग अलग असर हमेशा कर जाती है हर एहसास मन पे कुछ तो असर हमेशा कर जाता है सही तरह से मन को ख़ुशियाँ देता है
हवाओं का एहसास मन को सही एहसास दे जाता है हवाओं मे नया एहसास तो हर पल को कुछ तो असर जीवन पर हो जाता है हवा मे असर कुछ ना कुछ ज़रूर होता है जो मन पैदा होता है

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