Tuesday 8 September 2015

कविता १८३. एक सोच

                                                                 एक सोच
जाने क्यूँ जीवन में हर बार एक नई सोच मिलती है पर फिर भी जिन्दगी आसान नहीं लगती जब जब सोच समजते है जिन्दगी रंग बदलती है पर पेहचान नहीं सकते है
जीवन के हर मोड़ पे सोच नई जब सामने आये जिन्दगी के जाने कितने दिखते है अलग अलग साये उन सायों से जीवन की अलग पेहचान बनाता है
उन सायों को समजना जरुरी होता है जीवन में हर बार कुछ तो होता है जीवन का हर कदम हमें आगे ले जाता है जब जब जीवन को परखे वह आगे बढ़ जाता है
हम समज नहीं पाते उतना वह रंग बदलता है रंग बदलते रहना जीवन की रीत बनी है क्युकी जीवन में हर बार एक सोच नयी बनती है
जिसे जब जब हम परखे कुछ अलग सा लगता है जीवन खुशियाँ देता है हर पल हमें आगे ले जाता है जीवन को परखो तो जन्नत मिल जाती है
पर बुरी बात तो यह है जीवन को परखते परखते जिन्दगी गुजर जाती है जीवन की इस धारा के रंग में ही दुनिया है उन्हें समजो तो जीतोगे पर जीवन नहीं सिर्फ जीत पाना है
सिर्फ खेलो इस जीवन को तो खुशियाँ मिलती है समजो तो इसमें जीवन की कई कलियाँ खिलती है जब जब
समजे जीवन को उसका रस प्यारा है जीवन का ही हर बार होता है सहारा
उस सोच को अपना बनाओ जिसमे खुशियाँ मिलती ही जीवन को जी लो अच्छे से उसीमे हमें हमारी दुनिया हर बार मिलती है
जीवन की सोच चाहे कुछ भी कह दे उसे समजो और बदलो क्युकी उसी जीवन में हमें हमारी उम्मीदे मिलती है जो हमें आगे लेकर चलती है 

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