Wednesday 23 September 2015

कविता २१३. समान सोच

                                                                       समान सोच
जब जब हमने जीवन मे कोई उम्मीद भी कि है हर बार कोई ना कोई सोच जीवन को नया रस्ता दिखाती है जो जीवन के अंदर एक अलग एहसास लाती है
पर ज़रूरत होती है उनकी जो उस सोच को हक़ीक़त समज के जीवन मे हर पल आज़मा लेते है सोच तो वह होती है जो दुनिया को आगे ले जाती है पर कभी कभी पीछे ले जानेवाली सोच भी दुनिया को भाँती है
जब जो हमे समजे उसकी तलाश जीवन मे शुरू हो जाती है पर अचरज तो उस बात का है जिनकी बात हमने कभी ना सुनी हो उनको हमारी सोच भाँती है
जाने पेहचाने सारे चेहरे पीछे रह जाते है जो हर बार जीवन को नया मतलब दे जाती है वह सोच सिर्फ़ आगे आ जाती है फिर जो उसे अपना ले वही बनता अपना साथी है
आख़िर जीवन अपना चेहरा नहीं पर सोच होती है जो सोच समजे तो जीवन कि नई शुरुआत होती है जो उसको समजे जीवन मे उसी सोच से शुरुआत होती है
जो साथ दे अपना वही सही तरह बात होती है दोस्त तो वही है सोच जिसकी हमारा साथ देती है हम जो परखे तो जीवन मे उसी से दोस्ती सही तरह का हर बार एहसास देती है
जीवन के अंदर हर बार अलग तरह कि शुरुआत होती है जिसे समजे तो ता चलता है सोच से ही बस जीवन मे अलग और अहम तरह कि बात जीवन हर बार देती है
बातों के अंदर अलग दुनिया बनती है अगर आगे चलते जाये तो जीवन मे एक सोच ही साथ देती है दुनिया कि सोच अलग तरीक़े कि हो पर साथी कि एक सोच ही काम आती है
वही सच्चा दोस्त है जो हमारा हर मोड़ पर साथी है पर कभी कभी अलग सोच भी काम आती है मक़सद एक ही तो जीवन कि राह एक हो जाती है जो उस राह से गुजरे वही हमारे साथी है
जो एक मक़सद से चल पड़े वही हमारे साथी है सोच ही मायने रखती है बाकी सब जीवन कि बस कही सुनी बातें बाकी है जो जीवन पर हर बार कुछ तो असर ज़रूर कर जाती है

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