Wednesday 16 September 2015

कविता १९९. जीवन का सही मतलब

                                जीवन का सही मतलब
जब जब समजे हम जीवन को उसका कुछ तो मतलब होता है उस जीवन का अलगसा अंदाज़ दिखाता है जीवन मे कोई तो कह दे उसका अलग ही मतलब जो हमने समजा है
कैसे समजे पर उस मतलब को वह ग़लत सा जीवन मे लगता है हर पल जब जीवन को तो वह कितना अच्छा लगता है पर कभी जीवन कुछ ऐसे भी हो जाता है
कि कोई ग़लत मतलब को ही सही बताता है मन मानता नहीं है उसको पर जीवन मे अपनाना पड़ जाता है उस पल जीवन मे हमे बस यही सवाल नज़र आता है
कि कैसे अपना ले हम उस मतलब को जो हर मोड़ पर बस ग़लत लगता है जीवन का मतलब यह विश्वास नहीं बनता क्योंकि हम जब उसे परख लेते है
वह मतलब ग़लत लगता है उस पल चाहे कोई कुछ भी कहे उसका अहसास जीवन को होता है अगर हम समज लेते है तो उस मतलब से इन्कार सही दिखाता है
कई तरह के जीवन मे सही मतलब वही होता है जो मन को तसल्ली दे तो वह जीवन पर असर ज़रूर करता है जीवन के हर मोड़ का कुछ तो मक़सद ज़रूर होता है
जीवन को हर पल जो जी ले तो वह दुनिया को अलग ही दिखाता है जीवन को सही मतलब पे रखना मुश्किल तो ज़रूर होता है पर सही मतलब से ही उम्मीदों का सफ़र शुरू होता है
तो सही मतलब को अपना बना लेना दुनिया मे सही होता है जीवन को सही दिशा मे समजे तो ही जीवन हमे जीवन लगता है जिस धारा को समझे हम उसका एक मतलब लगता है
ग़लत मतलब को कितना भी अपनाना चाहे वह नामुमकिन सा लगता है जीवन को जब जब हम समजे उसमें सही दिशा को समज पाना ही हमेशा अहम होता है
चाहे हमे कितने भी भाये पर ग़लत चीज़ मे कभी ना कोई दम होता है उस चीज़ के अंदर हर बार बस ग़लत बात का ही असर होता है सही तरीक़े से जब समजे तो ही दुनिया मे चीज़ों का सही असर होता है

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