Thursday 3 September 2015

कविता १७४. बस एक मुस्कान

                                                            बस एक मुस्कान
हर बार मुस्कान हमे कुछ इतनी भाँति है की गमों के पार वह उम्मीदें लाती है हम सब कुछ छोड़ सकते है
पर मुस्कान कभी छोड़ी नहीं जाती है वह जीवन के हर अंग को जिन्दा कर जाती है ख़ुशियाँ दे जाती है
मुस्कान तो वह चीज़ है जो जीवन को बनाती है जीवन की वह ताकद है जो जीवन को उम्मीदें दे जाती है
चाहे कोई कुछ भी कह दे पर मुस्कान मे ही दुनिया की ख़ुशियाँ होती है जीवन के अंदर ज़रूरी ज्योति आती है
मुस्कान से नई दुनिया पैदा होती है जीवन के किसी भी ख्वाब के आगे मुस्कान बडीसी लगती है
इसीलिए कोई ख्वाब टूटे तो हम दो पल रो दे पर कुछ ना कुछ ढूँढ़ के जीवन के भीतर मुस्कान पैदा होती है
कोई तो उम्मीद हमेशा जीवन मे होती है यह तो हमारी ग़लत सोच है जो मन को गेहरी चोट देती है
जब हम बस ग़म ही देखे तो चोट ही मिलती है मुस्कान की तिजोरी मे ताला ना लगाए तो उम्मीदें नहीं खोती है
मुस्कान के अंदर अलग किसम की सोच होती है जिसे समजो तो जीवन का सच्चा अर्थ वही समज पाता है
जो मुस्कान के साथ जीता है उसी जीवन को समजा है मुस्कान तो आनी ही है क्योंकि बाकी सबकुछ खो दे पर वही हमारी जिन्दगानी है
मुस्कान तो जीवन को खुशियाँ देती है वही खो जाए तो जीवन हर ग़मों की परछाई है मुस्कान को हर बार हमें खुशियाँ देती है
क्युकी वह तो खुशियाँ जो हमें जीवन दे जाती है वही हमें बस भाती है तो खुशियों को हम ढूँढ़ भी ले तो जीवन में अच्छाई आती है
पर मुस्कान तो वह चीज़ है जीवन में खुशियाँ बिना किसी मेहनत के लाती है मुस्कान ही है जो जीवन को सचमुच जीवन बनाती है
तो सबकुछ खो जाने पर भी कभी कभी तो मुस्कान ही है जो आकर जीवन को एक अनमोल तोफा ग़मों में भी उम्मीदका दे जाती है 

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