Wednesday 23 December 2015

कविता ३९५. राह के ऊपर

                                 राह के ऊपर
राहों के ऊपर चलते चलते हमने कुछ तो जीवन मे सीखा है कभी समजा है सीधे से कभी आसानी से जीवन मे जाना है जीवन को परखे तो राहों पर चलना आता है
राह मे चलना तो हर बार जरुरी होता है राह के अंदर आगे चलना हर बार जरुरी है राह ही तो जीवन कि उम्मीद का सफर होता है राह पर चलना ही उम्मीद कि डगर होता है
राह मे अलग अलग चीजे हर बार दिखती है वह चीजे ही तो जीवन को हर बार रोशनी देती है राह मे हर मोड अलग बाते हर बार दिखती है राह पर अलग एहसास होते है
राह पर अलग अलग रंग हर बार दिखते है राह मे ही तो मतलब हर बार रोशनी दे जाता है राह मे ही अलग अलग जुदा एहसास हर बार दिखाता रहता है
राह के अंदर ही जीवन को मतलब मिल जाता है राह ही तो जीवन का सही मतलब एहसास होती है जीवन मे कुछ भी चाहो पर राह कि जरुरत तो हर बार होती है
राह मे जो जीवन गुजर जाता है उसी जीवन मे तो हमारी सुबह और श्याम होती है राह मे तो सपने हर मोड पर जिन्दा हो जाते है राह ही जीवन के सच्चे जस्बात होती है
राह मे अलग अलग मोड और चीजे जीवन मे हर बार दिखती है राह मे हर मोड मे जीवन का अलग एहसास दिखाती है राह को मतलब तो वह हर बार दे जाती है
मंजिल के भीतर राह तो जीवन को अलग एहसास दे जाती है राह ही सच्चाई है वही तो मंजिल से बडी खास होती है राह को परख लेना हर बार जरुरी होता है
राह ही जीवन कि नई शुरुआत होती है क्योंकि उसमे जिन्दगी आसानी से गुजर जाती है राह जीवन मे अहम हर बार होती है क्योंकि मंजिल से ज्यादा राह मे जिन्दगी गुजर जाती है
राह तो हर बार दुनिया मे नया एहसास देती है राह ही जीवन कि सच्चाई है क्योंकि मंजिल पहूँचते पहूँचते जीवन कि अक्सर रात होती है पर वह तलाश जीवन को बहोत खूब बनाती है

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